अवैध भवनों को रेगुलर करने में पेंच

By: Jan 29th, 2017 12:15 am

बिना स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट नहीं होगा नियमितीकरण, राज्य में कई इमारतें अनसेफ

NEWSशिमला— प्रदेश में बने अवैध भवनों को रेगुलर करना आसान नहीं होगा। इन भवनों को रेगुलर करने में स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी का पेंच फंस गया है। टीसीपी विभाग इन भवनों को बिना स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट के रेगुलर नहीं करेगा, जबकि राज्य में भारी संख्या में ऐसे अवैध भवन हैं जो कि स्ट्रक्चरल के तौर पर सेफ नहीं है। ऐसे में भवन मालिकों को स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट मिलना असंभव होगा। प्रदेश में अवैध भवनों को रेगुलर करने के लिए टीसीपी संशोधित टीसीपी एक्ट को हरी झंडी तो मिल गई है, लेकिन भवन मालिकों की परेशानियां अभी भी कम नहीं हुई हैं। भवनों को रेगुलर करवाने के लिए स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट की शर्त अवैध भवनों पर भारी पड़ सकती है। नए ही नहीं, बल्कि पुराने भवनों को भी ये सर्टिफिकेट हर हाल में देने होंगे। ये सर्टिफिकेट टीसीपी विभाग द्वारा इंपैनल इंजीनियर्स ही जारी करेंगे। जानकारों की मानें तो राज्य में  खतरनाक बन चुके अवैध भवनों के लिए स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटि करने का रिस्क स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स नहीं ले पाएंगे। वैसे नियमानुसार सभी प्लानिंग एरिया, स्पेशल एरिया और नगर निकायों में भवन का नक्शा पास करवाना जरूरी है, लेकिन इन जगहों पर लोगों ने बिना किसी नक्शे के ही भवन बना दिए  हैं, जिससे ये खतरनाक बन गए हैं, वहीं जिन लोगों ने नक्शे पास करवा भी दिए हैं, उन्होंने बाद में निर्माण कर इन पर निर्धारित मंजिलों से ज्यादा बनाकर इनको असुक्षित बना दिया है। राज्य में भारी संख्या में ऐसे भवन है, जिनमें सुरक्षा के मापदंडों का कोई ध्यान नहीं ही रखा गया। ऐसे हालात में इंजीनियर्स के लिए भी इन भवनों को सर्टिफिकेट जारी करना आसान नहीं होगा। राज्य में करीब 27 हजार भवन अवैध हैं, इनको संशोधित टीसीपी एक्ट के तहत रेगुलर किया जाना है। इन सभी भवनों के लिए भवन मालिकों को स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट देने होंगे। ये टीसीपी द्वारा रजिस्टर्ड स्ट्रक्चरल इंजीनियर ही जारी करेंगे। टीसीपी विभाग ने बीते साल स्ट्रक्चरल इंजीनियरों के रजिस्ट्रेशन को लेकर नियम बनाए थे और सितंबर माह में इसको लेकर अधिसूचना जारी भी की थी।

पुराने भवन भी दायरे में

जानकारों की मानें तो नए भवनों के साथ पुराने अवैध भवन भी इस नियम के दायरे में आएंगे। टीसीपी विभाग पुराने भवनों को भी इससे छूट नहीं देगा। भवन मालिकों को स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट देने ही होंगे। ऐसे में इंजीनियर्स भी भवनों को पूरी तरह से जांच परख कर ही भवनों को सर्टिफिकेट देंगे, क्योंकि उन पर ही इसकी पूरी जिम्मेदारी होगी।


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