आसान नहीं है विधानसभा की राह

By: Jan 9th, 2017 12:02 am

चंडीगढ़ में कांग्रेस-भाजपा-आप आमने-सामने, चुनावी घोषणा के बाद राजनीतिक सरगरमियां तेज

चंडीगढ़— पंजाब विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियों के बीच तिकड़मों तथा आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला तेज हो गया है। राजनीतिक परिदृश्य में हालांकि अभी स्पष्ट होने में समय लगेगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही उम्मीदवारों की घोषणा के मामले में पिछड़ गई हैं, जबकि नांमाकन को कुल तीन दिन बचे हैं। इस बार राज्य विधानसभा का चुनाव दिलचस्प होने के आसार हैं, क्योंकि इससे पहले परंपरागत मुख्य दो पार्टियों अकाली दल भाजपा गठबंधन तथा कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता था, लेकिन आम आदमी पार्टी ने राज्य में अपना आधार बनाकर दोनों मुख्य विपक्षी दलों की राह कठिन कर दी है। अब राज्य में मुकाबला त्रिकोणीय होगा। हालांकि कई अन्य पार्टियां भी चुनावी मैदान में कूद रही हैं, लेकिन ज्यादातर उपस्थिति दर्ज करने के लिए ही चुनाव में उतरी हैं। कांग्रेस की कमान पिछले चुनाव की तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा अकाली भाजपा गठबंधन की मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और आप पार्टी की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथों में है। इस बार के चुनाव में इन तीनों नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। हालांकि कांग्रेस को अभी 40 उम्मीदवारों का ऐलान करना है। आप अपने सभी उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है तथा अकाली दल ने भी ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। भाजपा को अभी उम्मीदवारों की घोषणा करनी है। चुनाव में बहुजन समाज पार्टी, पंथिक मोर्चा, अकाली दल (अमृतसर), अपना पंजाब पार्टी, वामपंथी दल सहित कुछ छोटे-मोटे दल चुनाव मैदान में उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। उनका कोई जनाधार तो है नहीं लेकिन कुछ वोटें जरूर काटेंगे, जिसका असर बड़े दलों पर पड़ेगा। कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनावों में  हार का मुंह देखने के बाद इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। लोकसभा चुनावों में पंजाब में पहली बार तेरह सीटों में चार सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी ने सभी को हैरत में डाल दिया था, लेकिन पार्टी में पिछले दो सालोें में आए उतार-चढ़ाव के कारण लोकप्रियता का ग्राफ गिरा। अब चुनाव प्रचार की कमान केजरीवाल के संभालने से कांग्रेस तथा अकाली दल के लिए राह कठिन बना दी है। राज्य में श्री बादल से लेकर अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल और कैप्टन अमरिंद्र सिंह अपने भाषणों में आप को कोसते नजर आते हैं। उनकी बातों से स्पष्ट है कि दोनों मुख्य दलोें की टक्कर आप पार्टी से है।  इसी रणनीति के तहत चुनाव प्रचार, लोगों से संपर्क और अन्य तरीके अपना रहे हैं। आप पार्टी नशा, किसान आत्महत्या, माफिया, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के मुद्दे पर चुनाव मैदान में आ डटी हैं तथा कांग्रेस के पास कोई खास मुद्दा नहीं है लेकिन अकाली सरकार की विफलता, नशा, कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव में उतरी है और अकाली गठबंधन का चुनाव एजेंडा विकास तथा राज्य में शांति और भाईचारा कायम रखना है। अकाली दल सिख वोटरों को लुभाने लिए आपरेशन ब्लू स्टार आपरेशन, सिख  दंगे और एसवाईएल मामले को मुद्दा बनाया है।


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