इंटरस्ट सबसिडी दे नीति आयोग
प्रदेश सरकार की मांग, उद्योगपतियों के ऋण पर ब्याज का 50 फीसदी वहन करे केंद्र
शिमला — हिमाचल सरकार ने प्रदेश में औद्यौगिक पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग से इंटरस्ट सबसिडी यानी उद्योगपति द्वारा जो ऋण उठाया गया है, उस पर लगने वाले ब्याज को केंद्र 50 फीसदी तक वहन करे, यह मांग रखी है। यदि राज्य सरकार की यह मांग मान ली जाती है तो निवेशकों के लिए यह एक बहुत बड़ी राहत होगी। 31 मार्च, 2017 को औद्योगिक क्षेत्र को मिलने वाली शेष रियायतों की लिमिट भी खत्म हो रही है। यही वजह है कि हिमाचल सरकार ने समय रहते हुए यह बड़ा प्रस्ताव नीति आयोग के समक्ष पेश कर दिया है। उद्योग विभाग के आला अधिकारियों का दावा है कि 31 मार्च से पहले इसे मंजूरी मिल सकती है। वर्ष 2003 के बाद विशेष औद्यौगिक पैकेज लागू हुआ था। उसी के बाद औद्योगिकीकरण ने गति पकड़ी। हालांकि प्रदेश के अंदरूनी हिस्सों में अभी भी कोई बड़े निवेशक नहीं आ सके हैं, न ही कृषि व बागबानी पर आधारित कोई बड़ा कारखाना स्थापित हो सका है। यह दीगर है कि कोल्ड चेन के अंतर्गत अदानी व एग्रीफ्रेश जैसे निवेशक शिमला व कुछ अन्य क्षेत्रों में पहुंचे हैं। हिमाचल की यह मांग पूरी होने से जो निवेशक पूंजी निवेश की राह देख रहे हैं, वे स्टार्टअप योजना के तहत भारी संख्या में यहां पहुंच सकते हैं। वैसे अभी तक वर्ष 2003 के बाद हिमाचल में फार्मा क्षेत्र में ही सबसे बड़ा निवेश हुआ है। 600 से भी ज्यादा बड़ी व नामी कंपनियां हिमाचल में निवेश के लिए आई हैं। प्रदेश में फार्मा उद्योग की अच्छी संभावनाएं हैं, जबकि ऑटोमोबाइल व बायो तकनीक क्षेत्र में कोई बड़े निवेशक यहां नहीं आए हैं। नालागढ़ के अडोवाल, स्वारघाट व ग्वालथाई में बायोटेक्नोलॉजी पार्क स्थापित करने के लिए बड़ी योजना थी, जगह भी चिन्हित कर दी थी। शापूर्जी पालूंजी जैसे बड़े डिवेलपर इस क्षेत्र में आने के लिए तैयार थे, मगर यह योजना पैक हो गई।
बड़े निवेशकों का आना तय
अब यदि नीति आयोग हिमाचल के लिए मददगार साबित होता है तो फिर से बड़े निवेशक हिमाचल का रुख कर सकते हैं, जो स्वरोजगार व रोजगार की दृष्टि से एक कारगर कदम साबित होगा। वरना साढ़े आठ लाख से भी ज्यादा बेरोजगार आने वाले वर्षों में प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्दी का बड़ा सबब बन सकते हैं।
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