इनसानी जन्म आत्मा के उद्धार के लिए

By: Jan 7th, 2017 12:15 am

बाबा हरदेव

हे मानव! ये पांच तत्त्व का बना पुतला, ये जिस्म तुझे मिला है, यह तुझे मुबारक है क्योंकि इनसानी जन्म मिलना सुनहरी अवसर के रूप में है। इस जन्म में तू अपनी असली पहचान बना सकता है, तू सत्य को जानकर अपनी आत्मा का उद्धार कर सकता है। यह आत्मा जन्मों-जन्मों से आवागमन के चक्कर में पड़ी हुई है और बार-बार इसको शरीर धारण करना पड़ता है । चौरासी लाख योनियां बताई गई हैं। तो शरीर के आवागमन के सिलसिले का अंत आखिर कब होगा। अंत होना, इस आवागमन के बंधन से निजात पाना, इसी को मोक्ष अथवा मुक्ति कहते हैं और यह अवसर होता है जब इनसानी जन्म हमें मिलता है। अगर इस जन्म को भी हमने हाथों से गंवा दिया तो हम से ज्यादा नादान और कौन होगा। हम से ज्यादा मूर्ख और कौन होगा कि सुनहरी अवसर मिला, हीरे जैसा जन्म मिला, लेकिन इसकी कौड़ी कीमत हमने खुद डाली। जब हमने सत्य की तरफ कदम नहीं बढ़ाया, जब हम सत्य के इच्छुक नहीं बने, जब हमने ब्रह्मज्ञानियों का संग नहीं किया और इस तरह से मंजिले मकसूद की हमने प्राप्ति नहीं की तो हमसे बड़ा मंदभागा और कौन होगा। अकसर लोग कहत हैं इसकी बुरी किस्मत है, ये मंदभागा है क्यों? क्योंकि इसके पास पैसे नहीं हैं, क्योंकि इसके पास झोंपडी है, एक पक्का मकान तक नहीं है। इस तरह से ये खुशकिस्मती और बदकिस्मती के हमने सांसारिक पैमाने बनाए हैं, लेकिन अगर सही मायने में देखा जाए तो उससे बड़ा कोई बदकिस्मत नहीं होता, जो यह अमोलक जन्म पाकर भी अपनी मंजिल को नहीं प्राप्त कर पाता। इस हीरे जैसे जन्म को पाकर भी जो केवल सांसारिक खेल खेलता रहे, सांसारिक प्रवृत्तियों से युक्त रहे, हिंसा के दौर चलता रहे, नफरत करता रहे वो होता है सबसे मंदभागा। वो नहीं कि जिसके पास दौलत नहीं या शोहरत नहीं या मकान नहीं। कबीर जी कितने खुशकिस्मत थे, मेहनत, मुशक्कत करते थे, कपड़ा बुनने का काम करते थे, लेकिन उनसे बड़ा खुशकिस्मत और कौन होगा क्योंकि उन्होंने वो दौलत पा ली, उन्होंने वो सरमाया प्राप्त कर लिया, जिसकी तुलना में दुनियावी सारे सिलसिले धूमिल हो जाते हैं। उन्होंने जो पाया वह लोक तक सीमित नहीं है, इसकी कीमत परलोक में भी है। वो कमाई वह करते हैं, प्राप्त वह करते हैं, उनके हिस्से में वह आता है तो इसी तरह से हमारे हिस्से में भी यह सब कुछ आए हमारे हिस्से में भी ये अवस्था आए, हमारे हिस्से में भी ये जागना आ जाए, हमारे हिस्से में भी ये परम तत्त्व की प्राप्ति आ जाए। ये मंजिले मकसूद ही असली पहचान है, ये हर एक के हिस्से में आ जाए। यह इनसानी जन्म मिला, यह मौका मिला ताकि हर कोई अपना जन्म संवार सके, जब इनसानी जन्म दे दिया गया तो हर किसी के लिए संभावना बन गई कि वह अपना उद्धार कर सकता है, वह अपना कल्याण कर सकता है। जरूरत है तो बस अपने अंदर उस भावना को लाने की जिससे ये मंजिले मकसूद हमें मिल जाए।

 


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