कब मिलेगा टमाटर का समर्थन मूल्य

By: Jan 20th, 2017 12:05 am

सोलन  —  सोलन जिला टमाटर उत्पादन में अग्रणी माना जाता है। यहां के किसान दिन-रात मेहनत करके टमाटर का उत्पादन करते हैं। किसानों के चेहरों की रौनक तब गायब हो जाती है, जब उन्हें अपनी कड़ी मशक्कत की कमाई कौडि़यों के भाव सब्जी मंडी में बेचनी पड़ती है। टमाटर का समर्थन मूल्य तय न होने की वजह कई बार तो किसानों को आने-जाने का किराया तक नहीं मिल पाता है। जिला के हजारों किसान सरकार ने समर्थन मूल्य तय करने की डिमांड कर रहे हैं, लेकिन कई दशक बाद भी कुछ नहीं हो पाया है। सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए खर्च करती है। सूखा हो, तो बीज पर सबसिडी मिल जाती है। बारिश से नुकसान का तो नाममात्र का मुआवजा देकर सरकार अपना पल्ला झाड़ लेती है। ऐसा ही जिला के टमाटर उत्पादकों के साथ भी हो रहा है। टमाटर उत्पादकों को कई दशक के बाद भी समर्थन मूल्य नहीं मिल पाया है। किसानों के लिए टमाटर का उत्पादन किसी जुआ के खेल की तरह है। मंडी में रेट अच्छा मिल गया तो ठीक है, अन्यथा किसान अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं। टमाटर के रेट का आर्थिक दंश किसान प्रत्येक वर्ष झेलते हैं। हैरानी की बात है कि लाखों की रुपए की लग्जरी गाडि़यों में घूमने वाले नेताओं को किसानों का यह दर्द दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसा नहीं है कि हमारे नेता इस डिमांड से अनजान हैं, लेकिन मामला किसानों से जुड़ा है, इसलिए कोई परवाह नहीं करता है। यह सिलसिला बीते कई वषर्ोें से चला आ रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर  सेब की तर्ज पर टमाटर का समर्थन मूल्य आज तक तय क्यों नहीं हो पाया। क्यों बागबानों और किसानों के बीच में सरकार द्वारा भेदभाव किया जा रहा है। यह तमाम सवाल किसानों के जहन में अब आने लगे हैं। मार्केट कमेटी सोलन के अध्यक्ष रमेश ठाकुर का कहना है कि टमाटर के समर्थन मूल्य का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा। जल्द ही मार्केट कमेटी इस मामले को सरकार के समक्ष रखेगी।

500 हेक्टेयर में होती है खेती

आंकड़ों के अनुसार सोलन जिला के करीब-करीब 500 हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्र में टमाटर का उत्पादन किया जाता है। सब्जी मंडी सोलन में प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख क्रेट टमाटर की बिकने के लिए पहुंची है। हिमाचल प्रदेश में सोलन जिला टमाटर उत्पादन में अग्रणी जिला माना है। सब्जी मंडी में कई बार टमाटर तीन से चार रुपए किलो तक बिकता है। टमाटर उत्पादकों के पास अन्य कोई भी विकल्प नहीं होता है। खून पसीने की कमाई कौडि़यों के भाव बेच कर किसान अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं।

बहुत मेहनत करनी पड़ती है…

टमाटर ऐसी नकदी फसल है, जिसके उत्पादन में सबसे अधिक मेहनत होती है। अप्रैल माह की चिलचिलाती धूप में  टमाटर के पौधे लगाए जाते हैं। पूरी गर्मी में किसान कड़ी मेहनत करके इन पौधों को पानी देते हैं। पौधों को कोई बीमारी न लगे, इसलिए हजारों रुपए के केमिकल का भी छिड़काव किया जाता है। जून माह के अंत तक टमाटर सब्जी मंडी में पहुंचता है।


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