किसके आंचल में छिपे बंदर-कुत्तों का सताया हिमाचल

By: Jan 23rd, 2017 12:01 am

अब बंदरों के काले सिर रोकेंगे धांधली!

शिमला  – हिमाचल में राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक तौर पर मुद्दा बनते रहे स्टरलाइज्ड बंदरों की पहचान के लिए अब वन विभाग ने एक खास तरकीब निकाली है। बंधीकरण के बाद बंदरों के सिर उस डाई से काले किए जा रहे हैं, जिसे लोग अपने बाल रंगने के लिए प्रयोग में लाते हैं। शिमला व कई हिस्सों में ऐसे वानरों की बड़ी संख्या देखने को मिल रही है, जिनके सिर काले हो चुके हैं। वाइल्ड लाइफ विंग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मंकी कैचर स्टरलाइज्ड बंदरों को भी पकड़ लाते थे, जिससे वाइल्ड लाइफ विंग को अब तक लाखों की चपत भी लगी है। इस पूरी कवायद पर अंकुश लगाने के लिए विंग के विशेषज्ञों ने अब बंदरों के सिर काले करने की मुहिम शुरू कर दी है। यानी आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश में स्टरलाइज्ड बंदर अब दो रंग के दिखेंगे। इससे पहले उनके माथे पर टैटू भी किया जाता रहा है, मगर दूर से पहचान बनाने के लिए अब यह नया कदम उठाया गया है। बहरहाल अब तक ऐसे दो हजार से भी ज्यादा वानर स्टरलाइज्ड किए जा चुके हैं, जिनके सिर काले हैं। यानी आपके शहर या गांव में काले सिर वाले बंदर दिखें तो वे स्टरलाइज्ड होंगे। विंग के विशेषज्ञों के मुताबिक शनिवार तक स्टरलाइज्ड बंदरों की संख्या प्रदेश में एक लाख 19 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है।  इस संख्या में अब फरवरी से दोगुना बढ़ोतरी करने की तैयारी है। अनुमान के मुताबिक प्रदेश में हर साल 180 करोड़ से भी ज्यादा फसलों को नुकसान वानर पहुंचाते हैं। बहरहाल वाइल्ड लाइफ विंग के इस ताजा प्रयास से अलग पहचान लिए हुए वानरों की संख्या कितनी कम होगी यह समय बताएगा।

साइड इफेक्ट्स की फिक्र किसे

हालांकि इन निरीह जीवों को इस डाई से क्या नुकसान होगा इसका फिक्र वाइल्ड लाइफ विंग को नहीं है, जबकि ऐसी डाई में साफ तौर पर लिखा होता है कि इससे स्कीन इरीटेशन व आंखों में कमजोरी आ सकता है। कई लोगों पर ऐसे रसायनों की रिएक्शन भी इतनी होती है कि उनकी चमड़ी की रंगत लाल हो जाती है।


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