खराब रूट स्टॉक से बागबानों में हड़कंप

By: Jan 11th, 2017 12:02 am

पतलीकूहल – विश्व बैंक की बागबानी विकास योजना के तहत इटली से आयातित करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से सेब की एक लाख रुट स्टॉक में पाई जाने वाले खतरनाक बीमारी व वायरस का खुलासा होने में प्रदेश के बागबानों में हड़कंप मच गया है। गौरतलब रहे कि अस्सी के दशक में भी प्रदेश में स्कैब जैसी भयंकर बीमारी ने सेब की शैप को बदल कर उसे इतना कुरूप बना दिया था कि सरकार नेे उसे कई जगहों में दफनाया। जब इस रूट स्टॉक का परीक्षण व निरीक्षण बागबानी विश्वविद्यालय नौणी व हरियाणा के अनुसंधान केंद्रों में हुआ तो इसमें भयंकर बीमारी व वायरस के लक्षण मिलने से बागबानों की चिंता में और इजाफा हो गया है। क्योंकि प्रदेश का बागबान कुछ वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग व पहले स्कैब जैसे रोगों से भारी नुक सान का भागीदार बन चुका है। यदि उसे विदेश से आयातित बीमारी व वायरस वाले रूट स्टॉक से तैयार होने वाले स्पर वैरायटी के पौधे बागीचे में लगाने के लिए मिलेंगे तो इससे वह बागबानी विकास की बजाय विनाश की ओर अग्रसर होगा। कुल्लू के बजौरा स्थित अनुसंधान केंद्र के मॉडल फार्म में करीब 500 रूट स्टॉक पहंुचा हुआ है। हालांकि सबसे अधिक इस रूट स्टॉक खेप शिमला जिला में पड़ी है, लेकिन पादप रोग विशेषज्ञों ने जब इसका निरीक्षण व परीक्षण किया तो इसमें कई तरह के रोग व वायरस से लबरेज पाया है। हिमाचल के बागबानों ने प्रदेश सरकार से जानना चाहा है कि यदि इस रूट स्टॉक में बीमारी व वायरस है तो इसे प्रदेश के बागबानों को बताएं, क्योंकि यदि जब इस पर पौधा बनाने के लिए ग्राफ्टिंग की जाएगी तो एक दो वर्ष में पौधे बागबान अपने बागानों में लगाएंगे। जब बीमारी युक्त पौधों को बागानों में लगाएंगे इसमें पाए जाने वाला वायरस क्षेत्र के बाकी बागीचों में भी फैल जाएगा। बागबानों का कहना है कि वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की है तो इस तरह के आयातित रूट स्टॉक से तैयार होने वाले पौधे को बागबानों को न दें। प्रगतिशील बागबान खेखराम नेगी ने कहा कि प्रदेश का बागबान कश्मीर से आने वाली सेब की सीडलिंग से अस्सी के दशक में कैंकर जैसी भंयकर बीमारी से भारी नुकसान झेल चुका है और यदि प्रदेश में विदेश से इस तरह का रूट स्टॉक आता है तो इससे प्रदेश के बागबानों को बैकफुट पर ला देगा।


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