घिसी-पिटी साइकिल

By: Jan 13th, 2017 12:01 am

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

घिसी-पिटी है साइकिल, खींचातानी छोड़,

हड्डी पहले घिस चुकी, पसली देगा तोड़,

बीच भंवर में फंस गई, साइकिल पर बढ़ती रार,

कब से पंक्चर है पड़ी, होगा कौन सवार,

एक-एक पहिया बंटे, चले एक से काम,

सर्कस सा मजमा लगा, बंटेंगे वोट तमाम,

संकटमोचन कौन होगा, नोचन हैं सब लोग,

फेर रहे पलीता सभी, कैसे निकले रोग,

सदियों से देखी नहीं, साइकिल की तस्वीर,

मर्जिडीज में हैं धंसे, उड़ा रहे हैं खीर,

साइकिल का चक्कर बुरा, मूर्ख अब तो जाग,

मोटरसाइकिल गजब की, पंख लगाकर भाग।

 


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