चेतना की जाग्रत अवस्था

By: Jan 14th, 2017 12:15 am

महेश योगी

भावातीत ध्यान एक सरल, सहज, प्रयासरहित एवं अद्वितीय वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित ध्यान की तकनीक है, जो मन को शुद्ध चेतना अनुभव करने एवं एकात्म होने के लिए स्थिर करती है एवं स्वाभाविक रूप से विचार के स्रोत, मन की शांत अवस्था, भावातीत चेतना, शुद्ध चेतना,  आत्म परक चेतना तक पहुंचाती है, जो समस्त रचनात्मक प्रक्रियाओं का स्रोत है …

चेतना की सात अवस्थाएं हैं, चेतना की जाग्रत अवस्था, चेतना की स्वप्न अवस्था, चेतना की सुषुप्त अवस्था, भावातीत चेतना, तुरीयातीत चेतना, भगवद् चेतना एवं ब्राह्मीय चेतना । चेतना की विभिन्न अवस्थाओं में ज्ञान का भिन्न स्तर होता है। चेतना की चतुर्थ अवस्था, भावातीत चेतना का भावातीत ध्यान की प्रक्रिया द्वारा अनुभव करने से चेतना की उच्चतर अवस्थाएं प्रबुद्धता तक प्रकट हो जाती हैं।  चेतना की पूर्ण जागृति उदित होती है, जिसमें व्यक्ति की पूर्ण रचनात्मक सामर्थ्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का समर्थन करती है । हमारी समस्त क्रिया, विचार एवं भावना तंत्रिका प्रणाली की स्थिति पर निर्भर करती है। जब हम विश्रांति एवं ताजगी का अनुभव करते हैं, तो समस्त क्रिया सरल एवं अधिक रचनात्मक प्रतीत होती है, जबकि उन दिनों जब हम तनाव में होते हैं, तब यह थकी हुई मनोदशा हमारे प्रत्येक कार्य में अभिव्यक्त होती है । थकान की सतही स्थिति को हम थकावट कहते हैं, थकान की गहन अवस्था को तनाव कहा जाता है। भावातीत ध्यान शरीर को गहन विश्राम एवं तंत्रिका प्रणाली को नवीन ऊर्जा प्रदान करता है । कोई भी व्यक्ति भावातीत ध्यान के अभ्यास द्वारा थकावट एवं गहन तनाव से मुक्ति प्राप्त कर सकता है ।  शोध ने दर्शाया है कि मानसिक क्रिया शरीरकीय क्रिया से संबंधित होती है । मस्तिष्क प्रत्यक्षतः शरीर की तंत्रिका प्रणाली से जुड़ा होता है । इस बात की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि कर दी गई है कि जीवन सदैव अधिकाधिक की ओर अधिक सफलता एवं अधिक परिपूर्णता की ओर आकर्षित होता है । मन की यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वह अधिकाधिक प्रसन्नता की ओर गति करता है। भावातीत ध्यान ऐसी तकनीक है जो प्रत्येक व्यक्ति को उसके स्वयं के अंदर से अधिक रचनात्मक, अधिक ऊर्जावान एवं प्रसन्न बनाती है। भावातीत ध्यान प्रत्येक व्यक्ति की आंतरिक रचनात्मक बुद्धिमता को प्रकट करने की तकनीक है। भावातीत ध्यान एक सरल, सहज, प्रयासरहित एवं अद्वितीय वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित ध्यान की तकनीक है, जो मन को शुद्ध चेतना अनुभव करने एवं एकात्म होने के लिए स्थिर करती है एवं स्वाभाविक रूप से विचार के स्रोत, मन की शांत अवस्था, शुद्ध चेतना,  आत्मपरक चेतना तक पहुंचाती है, जो समस्त रचनात्मक प्रक्रियाओं का स्रोत है । भावातीत ध्यान मन की चैतन्य क्षमता को विस्तारित करता है, व्यक्ति की पूर्ण सामर्थ्य को सहजरूपेण प्रकट करता है एवं दैनिक जीवन के समस्त क्षेत्रों को समृद्ध करता है। भावातीत ध्यान के दौरान व्यक्ति के विचार सूक्ष्म और स्थिर होते जाते हैं एवं व्यक्ति विश्रांतिपूर्ण जागृति की एक अद्वितीय अवस्था का अनुभव करता है। जैसे ही शरीर गहन विश्रांति में जाता है, वैसे ही चेतना जागृति की अनुपम अवस्था में पहुंचकर भावातीत चेतना का अनुभव करते हुए भाव के परे चली जाती है, जहां चेतना स्वयं में जाग्रत होती है। इस प्रक्रिया को नदी की भांति माना जा सकता है, जो स्वाभाविक रूप से एवं प्रयासरहित रूप से सागर में प्रवाहित होती है एवं सागर की स्थिति प्राप्त कर लेती है ।


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