टीएमसी का टीबी-चेस्ट यूनिट मेडिसिन डिपार्टमेंट के हवाले

By: Jan 6th, 2017 12:01 am

अस्पताल में यूनिट की बदहाली देखते हुए उठाया कदम

टीएमसी —  टांडा मेडिकल कालेज के टीबी एंड चेस्ट यूनिट का बिगड़ता स्वरूप देखते हुए अब इसे चलाने की जिम्मेदारी डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन को दी जा रही है। इस बीमारी से संबंधित मरीजों की जांच और उपचार अब डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन करेगा। यह फैसला मेडिकल डिपार्टमेंट की ओर से लिया गया है। मौजूदा समय की बात करें तो 64 बेड वाले इस यूनिट में मात्र एक मरीज उपचाराधीन है। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार यहां कुछ समय से जानबूझकर पेशेंट एडमिट नहीं किए जा रहे, जो भी मरीज आते हैं उन्हें यूं ही टाल दिया जाता है। पहले यहां मरीजों की तादाद 100 से अधिक ही रहती थी। वर्ष 2015 में यहां 197, जबकि 2016 में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 336 थी। विदित रहे कि वर्ष 1952 में टांडा में टीबी एंड चेस्ट यूनिट की स्थापना की गई। अस्पताल का शुभारंभ देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने किया था।

रात को सिर्फ सन्नाटा, डरता है स्टाफ

यह यूनिट रात को किसी भूत बंगले से कम नहीं लगता। वहां ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स ने बताया कि रात को यहां बहुत डर लगता है। पहले गेट के बाहर एक सुरक्षा कर्मी होता था, जिसे भी दो महीने पहले वहां से हटा दिया गया है। रात को यहां अकसर दो स्टाफ नर्स तैनात रहती हैं।

शौचालयों की हालत बेहद खराब

इस यूनिट के शौचालयों की बात करें तो उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि कभी यहां मरम्मत का काम हुआ होगा। टूटे दरवाजे और छतों से टपकता पानी खुद-ब-खुद इसकी बदहाली बयां कर रहा है। सफाई का कोई भी खास प्रबंध नहीं है।

डा. डढवाल को करते हैं याद

पहले इस यूनिट के हैड डा. डढवाल थे, जो कि सुपर स्पेशलिस्ट थे। मरीजों के लिए वह भगवान से कम नहीं थे। राह चलते भी मरीजों का वह चैकअप कर लेते थे। उन्हें डेपुटेशन पर नाहन भेजा गया है। वह काफी काबिल डाक्टर थे, लेकिन उनके खिलाफ यहां काफी राजनीतिक षड़्यंत्र हुआ था, जिसके चलते उन्होंने यहां से जाना ही बेहतर समझा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App