ध्यान क्या है

By: Jan 7th, 2017 12:15 am

श्रीश्री रवि शंकर

आप जानते हैं, ध्यान से आपकी आनंद पाने और इच्छाएं पूरा करने की क्षमता भी बढ़ जाती है और जब आपको अपने लिए कुछ नहीं चाहिए होता, तब आप दूसरों की इच्छाएं भी पूरी कर सकते हैं। यह बहुत ही बढि़या है तो इसके पहले रुकिएगा नहीं, ध्यान करते रहिए…

ध्यान क्या है? वह अवस्था है जिससे सब कुछ आता है और जिसमें सब कुछ जाता है। वह आतंरिक मौन है, जहां आप आनंद, खुशी और शांति आदि महसूस करते हैं। क्या आप जानते हैं कि तीन तरह के ज्ञान होते हैं। एक वह जो हम अपनी इंद्रियों से प्राप्त करते हैं। ज्ञान का दूसरा स्तर होता है बुद्धि से। बुद्धि द्वारा हम जो ज्ञान प्राप्त करते हैं, वह इंद्रियों द्वारा प्राप्त ज्ञान से अधिक श्रेष्ठ होता है। फिर ज्ञान का तीसरा स्तर है अंतरज्ञान। आनंद के भी तीन स्तर होते हैं। जब हमारी इंद्रियां भौतिक वस्तुओं में संलग्न होती हैं जैसे आंखें देखने, कान सुनने में व्यस्त होते हैं, तब हम केवल देख, सुन, चख या छू कर ही खुश हो जाते हैं। हमें इंद्रियों से खुशी तो मिलती है, लेकिन इंद्रियों द्वारा खुशी पाने की क्षमता बहुत कम होती है। फिर दूसरे स्तर का आनंद है जब आप कुछ रचनात्मक करते हैं। कुछ नया खोजते हैं, कोई कविता लिखते या नए पकवान बनाते हैं। वह जो किसी तरह की रचनात्मकता से आता है, अपने साथ एक तरह का आनंद लाता है। तीसरे स्तर का आनंद भी है। ऐसा जो कभी कम नहीं होता। न इंद्रियों और न ही रचनात्मकता द्वारा आता है, लेकिन किसी बहुत गहरे और रहस्यमय स्थान से आता है। उसी तरह शांति, ज्ञान और आनंद ये तीनों चीजें एक अन्य स्तर से आती हैं। जहां से ये आती हैं, उसका स्रोत है ध्यान। ध्यान के तीन महत्त्वपूर्ण नियम हैं। ये हैं कि अगले दस मिनट जब मैं ध्यान के लिए बैठ रहा हूं तब तक मुझे कुछ नहीं चाहिए। मुझे कुछ नहीं करना और मैं कोई नहीं हूं। हम इन तीन आवश्यक नियमों का पालन करेंगे, तब हम गहरे ध्यान में जा पाएंगे। शुरुआत में ध्यान केवल एक तरह का विश्राम है। दूसरे स्तर पर कुछ ऐसा है जो आपको ऊर्जा देता है। तीसरे स्तर पर वह अपने साथ रचनात्मकता लाता है। चौथे स्तर पर उत्साह और आनंद लाता है। ध्यान के पांचवे स्तर का वर्णन नहीं किया जा सकता। किसी को समझाया नहीं जा सकता। यही ध्यान का पांचवां स्तर है। इससे पहले आप रुकिएगा नहीं। सिर्फ थोड़ा सा आनंद, थोड़ा उत्साह या फिर कुछ छोटी-मोटी इच्छाएं पूरी हो जाने से रुकिए नहीं। आप जानते हैं, ध्यान से आपकी आनंद पाने और इच्छाएं पूरा करने की क्षमता भी बढ़ जाती है और जब आपको अपने लिए कुछ नहीं चाहिए होता, तब आप दूसरों की इच्छाएं भी पूरा कर सकते हैं। यह बहुत ही बढि़या है, तो इसके पहले रुकिएगा नहीं, ध्यान करते रहिए। ध्यान करने से आप उस चरम सीमा तक पहुंच जाते हो, जिसकी कल्पना भी आपने कभी नहीं की, जिसके बारे में आपने सोचा ही नहीं था।

 


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