नादौन का स्टोन क्रशर होगा बंद

By: Jan 18th, 2017 12:15 am

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newsहमीरपुर  —  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नादौन के स्टोन क्रशर और हॉट मिक्सिंग प्लांट को बंद करने के आदेश पारित किए हैं। एक दिग्गज कांग्रेस नेता से जुड़े इस मामले में जिला प्रशासन को तुरंत प्रभाव से आदेशों की पालना को कहा है। न्यायाधीश रघुविंद्र एस राठौर तथा रंजन चटर्जी ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि स्टोन क्रशर पानी के बहाव से करीब 100 मीटर दूर है। लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि होने के आधार पर क्रशर और प्लांट वैध नहीं कहा जा सकता, लिहाजा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की शिमला बैंच ने इसे बंद करने के आदेश जारी किए हैं। फैसले के बाद इस जमीनी मसले की जंग लड़ रहे नादौन के भाई-बहन ने खुशी जताई है। भाई निशु ठाकुर और बहन ईशा ठाकुर ने मंगलवार को बाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि यह यूनिट पिछले 21 वर्षों से कानून की धज्जियां उड़ाकर चलाई जा रही थी। इस क्रशर के मालिकों ने करोड़ों रुपए का खनन कर बजरी व रेता अवैध तरीके से बेचे हैं। इस क्रशर ने पर्यावरण तथा मानखड्ड में लगी सिंचाई व पेयजल योजनाओं को भी करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। इसकी पूर्ति के लिए सक्षम न्यायालयों में मामलों को उठाया जा रहा है। बीते समय में स्थानीय एसडीएम की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी ने यह झूठी रिपोर्ट पेश करके एनजीटी को गुमराह किया था कि यह क्रशर व हॉट मिक्सिंग प्लांट नियमों के अनुसार सही तौर पर लगाया गया है। इसे एनजीटी के समक्ष उठाया गया तो एनजीटी ने लोकल कमिश्नर से रिपोर्ट मंगवाई, जिसके आधार पर यह साफ हो गया कि एसडीएम की अध्यक्षता में भेजी गई रिपोर्ट पूरी तरह निराधार व गलत थी। इसे क्रशर मालिकों के दबाव में आकर तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी आज तक गलत रिपोर्ट देकर क्रशर मालिकों के साथ मिलीभगत करके उन्हें अनुचित लाभ दिलवाने में संलगन रहे, उनके विरुद्ध भी सक्षम न्यायालयों से कार्यवाही करने तथा उनको दंडित करने की याचिकाएं डाली जा रही हैं। निशु ठाकुर एवं ईशा ठाकुर ने बताया कि एनजीटी ने एडिशनल एडवोकेट जरनल को भी हिदायत दी है कि वह स्टोन क्रशर और हॉट मिक्सिंग प्लांट को बंद करने के फैसले से जिला कलेक्टर हमीरपुर व संबंधित अधिकारियों को अवगत करवाकर पालना करवाएं। वहीं, एसडीएम नादौन को भी तुरंत पालना के आदेश दिए गए हैं। गौर रहे कि इससे पहले एनजीटी की शिमला पीठ ने 19 व 20 दिसंबर, 2016 को इस यूनिट को चलाने पर स्टे आर्डर देते समय इन आदेशों का पालन न करवाने वाले अधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार बनाए जाने के आदेश दिए थे, जबकि छह जनवरी 2017 को दोबारा सुनवाई के बाद इस यूनिट को नियम विरोधी पाकर तुरंत प्रभाव से बंद करने का ऐतिहासिक फैसला दिया है।


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