नौणी यूनिवर्सिटी से खाली लौटे बागबान

By: Jan 4th, 2017 12:15 am

newsसोलन   – डा. वाईएस परमार विश्वविद्यालय में इस वर्ष देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले बागबानों को गुठलीदार फलों के पौधे नहीं मिल रहे हैं। पौधे न मिलने की वजह से बागबान सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके खाली हाथ वापस लौट रहे हैं। कई वर्षों के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि जब विश्वविद्यालय ने गुठलीदार फलों की पौध तैयार नहीं की है। जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश गुठलीदार फलों के उत्पादन में अग्रणी राज्य है। प्रदेश के अधिकतर जिलों में आडू, खुमानी, प्लम सहित कई प्रकार के गुठलीदार फलों का उत्पादन किया जाता है। प्रदेश के बागबानों को वर्ष भर विश्वविद्यालय से पौधे मिलने का इंतजार भी रहता है। पौधे लेने के लिए बागबानों की लंबी कतारें इन दिनों लगी हुई हैं। हैरानी की बात है कि विश्वविद्यालय द्वारा इस वर्ष बागबानों को गुठलीदार फलों के पौधे ही नहीं दिए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के पास इस प्रकार के पौधे मौजूद नहीं हंै, जिसके कारण न केवल हिमाचल प्रदेश के बागबान बल्कि देश के अन्य राज्यों से आने वाले बागबानों को भी खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। हालांकि विश्वविद्यालय द्वारा बागबानों की सेब की विभिन्न किस्मों के पौधे मुहैया करवाए जा रहे हैं। सस्ते रेट पर देश के विभिन्न राज्यों के बागबान नौणी में पौधे लेने के लिए आ रहे हैं। विशेष रूप से अधिक तापमान में होने वाले सेब के पौधों की सबसे अधिक डिमांड है। हैरानी की बात यह भी है कि डिमांड अधिक होने के बावजूद विश्वविद्यालय द्वारा अपने स्तर पर सेब की नर्सरी तैयार नहीं की जाती है। जम्मू-कश्मीर से लाखों की संख्या में पौधे मंगवाकर बागबानों को मुहैया करवाए जा रहे हैं। इस सबकी वजह से विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा रहा है। यदि विश्वविद्यालय में गुठलीदार फलों की नई किस्में ईजाद करता है तो इसका सबसे अधिक फायदा प्रदेश के बागबानों को होगा। मार्केट में बिकने वाले विदेशी किस्मों के गुठलीदार फल स्थानीय फलों से गुणवत्ता में कहीं बेहतर हैं। यदि प्रदेश के बागबानों को विदेशी गुठलीदार फलों के मुकाबले के पौधे मिलते हैं तो इससे बागबानों की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी। नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति एचसी शर्मा का कहना है कि गुठलीदार फलों के पौधों की डिमांड काफी रहती है, इसलिए पौधे मुहैया नहीं करवाए गए हैं। अगले वर्ष से विश्वेिवद्यालय बागबानों की डिमांड के अनुसार पौधे मुहैया करवाएगा। उधर, पीच वैली के नाम से प्रसिद्ध राजगढ़ में आडू का उत्पादन प्रत्येक वर्ष घट रहा है। इसी प्रकार सोलन, शिमला और सिरमौर जिला में खुमानी व प्लम का उत्पादन लगभग आधे से भी कम हो गया है। इन फलों की नई किस्में न मिलने की वजह से बागबानी को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।


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