पर्वतमालाओं ने ओढ़ी सफेद चादर

By: Jan 7th, 2017 12:07 am

news newsपतलीकूहल —  शुक्रवार को संपूर्ण कुल्लू घाटी प्रचंड शीत लहर की चपेट में आ गई है। मौसम के इस मिजाज से ऊंची पर्वतमालाओं पर बर्फबारी का सिलसिला जारी है। हालांकि घाटी की ऊंची शृंखलाओं पर पिछले पांच दिनों से रुक-रुक कर बर्फबारी का दौर रहा, लेकिन शुक्रवार से मौसम ने कड़ा रुख अपनाकर यहां के सभी पर्यटन स्थलों पर कुदरत की सफेद चादर फैलनी शुरू हो गई है। निचले क्षेत्रों में हो रही वर्षा से खेत व बागानों में नमी का संचार होने लगा है, वहीं रोहतांग पास पर दो से तीन फुट तक बर्फ गिरने का समाचार है। बर्फबारी से रोहतांग पास के बंद होने से लाहुल-स्पीति का संपर्क प्रदेश से कट गया है। इस बार काफी अरसे के बाद मौसम का मिजाज बदला और चार महीने से चली आ रही खुश्की के चोले को उतारने में कामयाब रहा है। लोगों ने माना कि मौसम का मिजाज भले ही देर से मेहरबान हुआ है, लेकिन चार महीनों से खुश्क पड़े उनके  खेत-खलिहानों को तर करने में कामयाब हुआ है। घाटी की मुख्य नकदी फसल के लिए वर्षा का होना बड़ा लाजिमी था क्योंकि लोग सूखे में सेब के तौलियों का कार्य व नए पौधों को गड्ढे बनाने के काम को तरजीह नहीं दे पा रहे थे। शुक्रवार को मौसम के मिजाज ने बागबानों को बड़ी राहत दी है, जिससे उनमें खुशी का माहौल बना है। शुक्रवार को रोहतांग सहित समस्त पहाडि़यों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है। रोहतांग सहित मनालसू पीक, मकरवेद व शिकरवेद, मनाली पीक, पतालसू पीक, सेवन सिस्टर पीक, लद्दाखी पीक, मागण कोट, देऊ टिब्बा, हनुमान टिब्बा, हाम्टा पास, शिरघन, भृगू झील, दशोहर झील सहित पीर पंजाल रेंज पर पिछले पांच दिनों से बर्फबारी का दौर जारी है और शुक्रवार को मौसम के मिजाज से इन पहाडि़यों पर भारी बर्फबारी होने की खबर है। यही नहीं दोपहर बाद सोलंग नाला, कोठी व गुलाबा सहित जाणा फाल रेंज तक बर्फबारी की परत नीचे सरकना शुरू हो गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि मौसम का मिजाज कुछ इस तरह से रहता है तो कुल्लू घाटी के लोगों की बागानों को मिलने वाली कुदरत की खुराक पूरी तरह से यहां की नकदी फसल सेब के लिए संजीवनी प्रदान करेगी।

लक्ष्मी नारायण ने हारियानों संग लगाई श्रद्धा की डुबकी

भुंतर —  जिला कुल्लू की गड़सा घाटी के तहत ज्येष्ठा के देवता लक्ष्मी नारायण ने शुक्रवार को हारियानों संग हुरला क्षेत्र के मकराहड़ में पवित्र संगम स्नान किया। शाही स्नान में घाटी के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और पवित्र रस्म को निभाया। सुबह ही देवता का काफिला देवालय से निकला और दोपहर को मकराहड़ में पहुंचा। यहां पर पुरोहितों द्वारा देवता की पूजा-अर्चना की गई तो साथ ही अन्य रस्मों को भी निभाया गया। इसके बाद देवता ने ब्यास व पार्वती के संगम में डुबकी लगाई  और हारियानों ने भी स्नान किया। इस दौरान पूरी घाटी देवमय हो गई।  हारियानों और कारकूनों ने बताया कि देवता ने हाल ही में इस संदर्भ में देवादेश जारी किए थे, जिसके तहत देवता ने यह स्नान किया। इसके बाद देवता दियार क्षेत्र से होकर देवालय के लिए निकले।  हारियानों डीणे राम, प्रदीप कुमार, केहर सिंह, बेली राम आदि ने बताया कि देवता के आदेशों के तहत यह स्नान की प्रक्रिया पूरी की गई।


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