पर्वतीय फिजाओं में रंग भरते मेहमान परिंदे

By: Jan 23rd, 2017 12:07 am

newsबचन सिंह घटवाल

लेखक, मस्सल, कांगड़ा से हैं

महाराणा प्रताप झील आज प्रवासी पक्षियों की सबसे बड़ी और सुंदर शरणस्थली के रूप में विकसित हो चुकी है। विगत दस वर्षों की गणना के अनुसार इस वैटलैंड पर प्रवासी पक्षियों की लगभग 415 प्रजातियों ने भ्रमण किया। गत वर्ष इस झील में लगभग 1.20 लाख प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा जमाया…

पक्षियों की दुनिया बेहद दिलचस्प होती है। पक्षी जीवन के प्रत्येक राग, रंग और सुंदरता के विलक्षण गुणों से ओत-प्रोत होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप  उनका प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति आकर्षण स्वाभाविक हो जाता है। पक्षी दूरदराज के इलाकों से धरा के प्रत्येक सुंदर कोने को खोज निकालने में माहिर होते हैं। हम इसे यूं भी कह सकते हैं कि पर्यावरण की अनुकूल परिस्थितियों की तरफ पक्षी सहज ही आकर्षित होते हैं और जहां पर्यावरणीय प्रतिकूल परिस्थितियां होती हैं, उस दिशा की तरफ इनके आवागमन का सिलसिला रुक जाता है। हमारे देश में सुंदर स्थलों की कमी नहीं है, जहां पक्षियों का आवागमन व उनकी कलरव मनोरम स्थलों में चार चांद लगा देती है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश की महाराणा प्रताप झील, जिसका निर्माण वर्ष 1975 में पौंग बांध बनाकर व्यास नदी के प्रवाह को रोक कर किया गया, आज प्रवासी पक्षियों की सबसे बड़ी और सुंदर शरणस्थली के रूप में विकसित हो चुकी है। विगत दस वर्षों की गणना के अनुसार इस वैटलैंड पर प्रवासी पक्षियों की लगभग 415 प्रजातियों ने भ्रमण किया। गत वर्ष इस झील में लगभग 1.20 लाख प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा जमाया। इस वैटलैंड में साल्केडड डक भी देखी गई थी, जो पक्षियों की सुंदरतम प्रजातियों में से एक है।

हिमाचल प्रदेश के सुंदर स्थलों के सौंदर्य और अनुकूल शरणस्थलियों  में से पौंग झील का वातावरण स्थानीय पक्षियों के लिए पसंदीदा तो है ही, बल्कि प्रवासी पक्षियों के जमावड़े के लिए यह झील मुख्य आकर्षण के रूप में विश्व विख्यात हो चुकी है। हर वर्ष अक्तूबर माह में इस वैटलैंड पर साइबेरिया, दक्षिण अफ्रीका और चीन के इलाकों में बर्फ जम जाने से बहुतायत में पक्षी पौंग झील की तरफ अपना सफर शुरू कर देते हैं। यहां प्रवास करने वाले पक्षियों में मुख्यतः वार हैडड गीज, नार्दन पिटेल, कॉमन टील, कॉमन पौचार्ड, कूटस, टफ्ड पौचार्ड, ग्रेट कॉरमोनेंट, रूडी शेल्डक आदि हैं। आजकल प्रवासी पक्षियों की कलरव में वैटलैंड के किनारे गूंजित नजर आते हैं। इस वर्ष अभी तक की गणना के अनुसार पौंग झील में अब तक लगभग 94 प्रजातियों के लगभग 85 हजार से भी अधिक प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा यहां नजर आ रहा है।

पौंग झील के भव्य आकर्षण के कारण नित पक्षियों की नई प्रजातियों का आगमन प्रारंभ हो गया है। इस बार प्रवासी पक्षियों के जमघट के साथ ‘ग्रेटर फ्लैमिंगो’ नामक पक्षी ने प्रथम बार इस वैटलैंड पर दस्तक दी है। पक्षियों के दलों के साथ सुंदर नई प्रजातियों का आगमन इस वैटलैंड का रुख करना यहां की पर्यावरणीय दशा की अनुकूलता को प्रदर्शित करता है। पक्षियों का व्यवहार बड़ा अजीव होता है। पक्षी मुख्यतः भीरू प्रवृत्ति के होते हैं, जो किसी भय के एहसास मात्र से अपने ठिकानों को परिवर्तित कर लेते हैं। जहां पर इन्हें उन्मुक्त, भयमुक्त माहौल व वातावरण मिलता है, वे वहां निर्भीकता से बार-बार दस्तक देते हैं। पौंग झील में पक्षियों की भरमार इस सुंदर झील को और भी मनोरम बना देती है। इसमें संदेह नहीं कि पक्षी सौंदर्य से परिपूर्ण तटों को अपनी आश्रय स्थली बनाते हैं। आश्रय के साथ-साथ भोजन की बहुलता भी प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने का कार्य करती है। ब्यास नदी में मछलियों, कीड़ों व अन्य प्रकार के जीवों की भरमार प्रवासी पक्षियों को खूब सारा भोजन उपलब्ध करवाती है। अपने अनुरूप खाद्यान्नों की उपलब्धता पाकर प्रवासी पक्षी भाव-विभोर हो उठते हैं। हो सकता है कि यह खूबी भी मेहमान परिंदों को हिमाचल की ओर आकर्षिक करती हो। वातावरण की शुद्धता व मानव विहीन तटों का मिलना उनमें पुनः आगमन का न्योता सा दे जाता है। अभी भी तटों के उपजाऊ होने का लाभ किसान लोग लेना नहीं चूकते, जबकि पक्षियों के स्वतंत्र विचरण पर मानवीय उपलब्धतता प्रभावित करने का कार्य अंजाम देती है। यही कारण है कि इन तटों पर खेती करना वर्जित किया गया है। प्रवासी पक्षी हिमाचल की धरा को बेहद आकर्षक व मनोहारी बना देते हैं। पर्यटक प्रवासी पक्षियों की एक झलक देखने के लिए लालायित नजर आते हैं। इसमें संदेह नहीं कि सर्दियों में हिमाचल के पर्यटक स्थलों का भ्रमण करने वाले सैलानी अब पौंग झील की तरफ भी आकर्षित हो रहे हैं। ऐसे में इन पर्यटन संभावनाओं की पड़ताल कर, इसे परिणाम में बदलने के भी प्रयास होने चाहिए। पक्षियों के व्यवहार की एक अनोखी बात यह भी है कि पक्षियों की स्मरण शक्ति भी अद्भुत होती है तथा इन्हें दिशा ज्ञान में भी परिपक्व माना जाता है। आकाश में घूमते पक्षियों की कतारें जिस रास्ते से उड़ान भरती हैं, वे उसी रास्ते पुनः अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच जाती हैं। पक्षियों को सुंदर स्थल, मुदुल जल व शुद्ध वातावरण का आकर्षण बार-बार आमंत्रण का कारण बनता है। तटीय स्थलों पर पेड़ों की बहुलता भी उन्हें आकर्षित करती है। अतः पौंग बांध की तटीय सुंदरता को और भी सुदृढ़ करने के प्रयत्न जारी रखने जरूरी है।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय, ई-मेल आईडी तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

-संपादक


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App