फायर स्टेशन से 37 किलोमीटर दूर था गांव

By: Jan 16th, 2017 12:15 am

आग के लिहाज से अतिसंवेदनशील ऊपरी शिमला में मात्र दो दमकल केंद्र-तीन चौकियां

news शिमला  –  हिमाचल का पहाड़ी क्षेत्र आग की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और इससे निपटने के लिए यहां पर्याप्त इंतजाम भी नहीं हैं। जिला में पर्याप्त दमकल केंद्र नहीं हैं। ऊपरी क्षेत्र में मात्र दो फायर स्टेशन और तीन दमकल केंद्र काम कर रहे हैं। इस वजह से दूर इलाकों तक दमकल वाहन समय पर नहीं पहुंच पाते और लपटें बेकाबू हो जाती हैं। शिमला जिला का ऊपरी क्षेत्र आग के नजरिए से काफी संवेदनशील है। चिड़गांव के तांगणू गांव में आग की घटना से पहले भी कई घटनाएं जिला में घट चुकी हैं। बावजूद इसके इन इलाकों में पर्याप्त दमकल केंद्र नहीं खोले गए। तांगणू गांव में आग लगने की घटना पेश आई है वह भी रोहड़ू फायर स्टेशन से करीब 37 किलोमीटर दूर था। सड़क खराब होने की वजह से वाहनों को गांव तक पहुंचने में ही कई घंटे लग गए। दूसरी ओर हालात ये हैं कि मौजूदा समय में ऊपरी शिमला के रोहड़ू और रामपुर में दो फायर स्टेशन काम कर रहे हैं।  ठियोग में हालांकि काफी समय से फायर पोस्ट काम कर रही है वहीं हाल में दमकल विभाग ने कुमारसैन और चौपाल में नई फायर पोस्टें खोली हैं। शिमला जिला में अधिकतर उपमंडल स्तरों पर ही दमकल केंद्र काम कर रहे हैं, जबकि तहसील और उपतहसील पर दमकल केंद्र ही नहीं हैं। ऊपरी शिमला में चिड़गांव, डोडराक्वार, जुब्बल, कोटखाई में अभी कोई भी दमकल केंद्र नहीं है। जुब्बल कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में एक भी केंद्र नहीं है। ऐसे में जब आग की घटना होती है तो  यहां के लिए ठियोग या रोहड़ू से ही दमकल वाहन भेजे जाते हैं।  चौपाल में भी हाल ही में फायर पोस्ट खोली गई है। चौपाल क्षेत्र शिमला जिला का दुर्गम इलाका है और इसके तहत कपुवी का क्षेत्र तो अति दुर्गम क्षेत्र की श्रेणी में आता है। यह चौपाल से बहुत दूर है। डोडरक्वार बेहद दुर्गम इलाका है, यहां भी आग से तांडव मच जाता है, क्योंकि रोहड़ू से यहां तक दमकल वाहन को समय पर पहुंचाना असंभव है। दमकल केंद्र और यहां की भौगोलिक स्थिति के चलते आग लगने पर समय पर दमकल वाहन और कर्मचारी भी नहीं पहुंच पाते, वहीं रही सही कसर खराब सड़कें पूरा कर रही हैं। इसलिए जरूरत है इन इलाकों अधिक से अधिक दमकल केंद्रों को खोलने की, ताकि आग लगने पर समय पर दमकल घटनास्थल तक पहुंच सकें।

कैसे छोड़ दें गांव

रिश्तेदारों ने गांव के बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को अपने पास बुला लिया है, लेकिन यहां के कुछ लोग गांव छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जो यहां पर पूरी सर्दी अब टैंट के सहारे ही गुजर बसर करने के लिए विवश है।


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