बकता रहे जो गालियां बकता है आदमी
नाहन — मूरत पे चढ़ाते हो रोज दूध घी बताशे, सड़कों पे भीख मांगता फिरता है आदमी। पंकज तन्हा ने इन पंक्तियों के माध्यम से अंधभक्ति पर जमकर तंज कसे। मौका था नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर भाषा कार्यालय नाहन द्वारा आयोजित मासिक कवि गोष्ठी का। इस गोष्ठी में शहर के वरिष्ठ-कनिष्ठ कवियों ने भाग लेकर सामाजिक अव्यवस्थाओं पर तंज कसे। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रामकुमार सैणी ने की, जबकि जिला भाषा अधिकारी अनिल कुमार हारटा विशेष रूप से उपस्थित रहे। कवि गोष्ठी की शुरुआत करते हुए कवि दीनदयाल वर्मा ने अपनी कविता मैं मन की बात किससे कहूं के माध्यम से खूब रंग जमाया। कवि भुवन जोशी ने आने लगता है जब वक्त बुरा भी, बेवफा लगने लगता है बेवफा भी गजल से खूब वाहवाही लूटी। शबाना चौहान ने रेत के बाउंडर में समय की मार से, सरला गौतम ने मेरा देश बदल रहा है कविता पढ़ी। लायक राम शास्त्री ने अपनी कविता हिमाचल एक, जनपद 12, राजधानी दो के माध्यम से प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर तंज कसे। कवि चिरआनंद ने आ गए चुनाव कुछ राज्यों के पहले ही खजाना खाली है। उस पर भी अगले पांच बरस कब्जे की जुगत भिड़ा ली है कविता को तरन्नुम में पेशकर खूब रंग जमाया। रामकुमारी सैणी ने जाने क्यूं फिर कांटो से भर जाती है राह हमारी, सुनाई जिसे खूब पंसद किया गया। युवा कवि पंकज तन्हा ने बेबाक था, बेबाक हूं, बेबाक रहूंगा, बकता रहे जो गालियां बकता है आदमी सुना खूब वाहवाही लूटी। इस दौरान युवा कवि बारू राम व धनवीर ने भी कविता पाठ किया। अपनी संबोधन में जिला भाषाअधिकारी अनिल कुमार हारटा ने नवोदित कवियों ने भाषा कार्यालय में अपना नाम दर्ज करवाने की अपील की।
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