बीबीएन की सड़कों पर चलना नहीं आसान, जाने किस मोड़ पर चली जाए जान

By: Jan 5th, 2017 12:05 am

बीबीएन —  औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन हादसों का शहर बनता जा रहा है। हालात ये हैं कि सड़क हादसों का सिलसिला निरंतर जारी है। इन हादसों में जहां कई घरों के चिराग बुझ गए हैं, वहीं कइयों के सिर से मां-बाप का साया तक छिन गया है। ऐसे में पुलिस को ट्रैफिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने और यातायात नियमों की पालना करवाने के दावों पर भी सवाल उठना लाजिमी है। शायद ही कोई ऐसा दिन होगा, जब इस इलाके की सड़कों पर कोई हादसे का शिकार न बना हो। आए दिन पेश आ रहे सड़क हादसे बयां कर रहे हैं कि बीबीएन की सड़कों पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है। आंकडे़ बयां कर रहे है कि साल दर साल औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन की सड़कें  खूनी सड़कों में तबदील हो चुकी हैं। साल 2014 में बीबीएन में 64 लोगोंं की जान सड़क हादसों में गई है, जबकि 2015 में 76 व 2016 में 80 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। बीबीएन की सड़कों पर वाहनों के  भिड़ने का, राहगीरों को टक्कर मारने का यह दर्दनाक वाकया कभी कभार नहीं, बल्कि हर दूसरे-तीसरे दिन इलाके क ी किसी सड़क पर दिन या रात के समय बखूबी दिख जाता है, लेकिन मौजूदा समय में चालान काट कर यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटी पुलिस के लिए भी इस तरह के हादसे किसी चुनौती से कम नहीं हैं। पुलिस जिला बद्दी प्रशासन की फाइलों में दर्ज आंकड़े बयां कर रहे हैं कि हर माह कई अनमोल जिंदगियां बीबीएन की सड़कों पर या तो अपनी गलती से दम तोड़ रही हैं या फिर दूसरे वाहन चालक की। क्षेत्र की सड़कों पर वाहन चलाना, पैदल चलना मतलब जान का खतरा मोल लेने के समान है। यही नहीं, ट्रक, टै्रक्टर आपरेटरों की तरह रफ्तार के शौकीन नाबालिग व बिगडै़ल चालक भी यातायात कानून की धज्जियां उड़ाने में आगे हैं। एसपी बद्दी बिशेर सिंह चौहान का कहना है कि पुलिस जिला प्रशासन यातयात नियमों की सखती से पालना करवा रहा है। उन्होंने बताया कि जनता व वाहन चालकों को जागरूक किया जा रहा है, साथ ही एक्सीडेंट प्रोन एरिया पर सूचना बोर्ड लगाकर वाहन चालकों को सचेत किया जा रहा है। उन्होंने चालकों से आह्वान किया कि वे नियमों की पालना करें, पुलिस नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाएगी।

रोजाना हजारों वाहनों की आवाजाही

बीबीएन में रोजाना हजारों वाहनों की आवाजाही रहती है। इस क्षेत्र से होकर गुजरने वाले एकमात्र नेशनल हाई-वे 21ए पर रोजाना 25 हजार से ज्यादा वाहनों की आवाजाही होती है। नालागढ़ आरएलए में करीब 72 हजार से ज्यादा वाहन पंजीकृत है। वाहनों की बढ़ती तादाद के आगे सड़कें तो बौनी पड़ती ही हैं, वहीं वाहन चालकों में एक दूसरे से तेज चलने की प्रतिस्पर्धा में यातायात नियम हाशिए पर चले जाते हैं। वहीं इसी दौरान होशियारी दिखाने वाले वाहन चालक कई हादसों को भी अंजाम दे जाते हैं।

यहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे

बीबीएन में ज्यादातर हादसे वाहन चालकों की लापरवाही से घटे, जबकि कई मामलों में वाहनों की तेज रफ्तार, सड़कों पर बेतरतीब खडे़ वाहन और यातायात नियमों की अवहेलना हादसों की वजह बनी। बद्दी-नालागढ़ रोड़, बागबानियां, खेड़ा, किशनपुरा, मानपुरा, चौकीवाला, बरोटीवाला, झाड़माजरी, भुड्ड, मल्लपुर, बद्दी-साई मार्ग, बद्दी बाइपास मार्ग, किरपालपुर, चौकीवाला, दभोटा ,नालागढ़-रोपड़ मार्ग पर हादसों के लिए संवेदनशील रहा है।

क्या कहते हैं आंकड़े

आकंड़े बयां कर रहे है कि इस इलाके में सबसे ज्यादा मौतें सड़क दुर्घटनाओं में हुई हैं। साल 2008 में 190 सड़क हादसे हुए, जिसमें 92 लोग मौत के मुंह में गए, वर्ष 2009 में करीब 170 हादसों में 70 लोगों ने अपनी जान गंवाई। 2010 में 151 सड़क हादसों में 87 लोगों ने अपनी जान से हाथ धोए व वर्ष 2011 में 152 हादसों में 55 लोगों की जाने गईं। 2012 में 182 हादसे हुए, जिनमें 59 की मौत हुई। 2013 में भी सड़क हादसों का सिलसिला बरकरार रहा और कुल 195 सड़क हादसों में 63 अनमोल जानें बीबीएन की सड़कें लील गईं। साल 2014 में 200 सड़क हादसों में 64 लोंगों की जान गई व 243 घायल, 2015 में 167 सड़क हादसे हुए जिनमें 76 लोंगों की मौत हो गई, जबकि 178 घायल हुए। 2016 में 182 दुर्घटनाएं हुई है, जिसमें 80 लोगों की जान गई है, जबकि 239 लोग घायल हुए हैं।


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