भारी बर्फबारी भी नहीं तोड़ पाई हौसले
नाहन — सिरमौर व शिमला जिला की सीमा पर समुद्र तल से लगभग 12 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित चूड़चांदनी पर्वत इन दिनों सफेद चादर ओड़े हुए है। इस पर्वत पर स्थित भगवान शिव के अशांवतार शिरगुल देव का प्राचीन मंदिर जहां सिरमौर, शिमला और पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के लोगों के लिए आस्था व श्रद्धा का केंद्र है, वहीं पर पर्यटकों के लिए यह प्रदूषणमुक्त स्थल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस प्राचीन मंदिर में स्वामी श्यामानंद के शिष्य स्वामी कमलानंद वर्ष 2001 से इस पर्वत पर अपना निवास स्थान बनाए हुए हैं और हर वर्ष कड़ाके की सर्दी के बाजजूद भी स्वामी यहीं पर 16 वर्षों से तपस्या करते आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इनसे पहले स्वामी श्यामानंद जी महाराज द्वारा कई वर्षों तक इस पर्वत पर रहकर तपस्या की थी। स्वामी कमलानंद का कहना है कि इन दिनों चूड़धार पर लगभग आठ फुट बर्फ है और रात्रि को तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है। उन्होने बताया कि मंदिर के आश्रम में उनके साथ भक्त कृपाराम जी मौजूद है। उन्होंने कहा कि सर्दी के मौसम के दौरान भोले शंकर की अराधना करने का अपना की एक आनंद है, क्योंकि सर्दियों में इस पर्वत पर भारी बर्फबारी होने से लोगों की आवाजाही बंद हो जाती है। उन्होंने कहा कि चूड़धार पर्वत पर रहना एक जोखिम भरा कार्य है और ऐसे में किसी व्यक्ति को यहां आने का साहस नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कई बार यहां पर 25 से 30 फुट तक भी बर्फ गिरती है और ऑक्सीजन की भी कमी हो जाती है। उन्होंने कहा कि गर्मियों के मौसम के दौरान सर्दियों का राशन इत्यादि का कोटा पर्याप्त मात्रा में चूड़धार सेवा समिति और अनेक भक्तों द्वारा रखा जाता है जिससे सर्दियों में कोई परेशानी नहीं होती। उल्लेखनीय है कि यह स्थल अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र पर अपनी दस्तक दे चुका है और प्रदूषणमुक्त स्थल होने से लोग यहां पर प्रकृति की नैसर्गिक छटा का भरपूर आनंद उठाते हैं। चूड़चांदनी एक ऐसा केंद्र बिंदू पर्वत है जहां से हिमालय की वर्ष भर हिमाच्छादित पर्वत शृंखलाओं के विशेषकर गर्मियों के मौसम के दौरान एक अदभूत नजारा देखने को मिलता है। चूड़ेश्वर सेवा समिति द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लंगर व कमरों का प्रावधान किया गया है। सिरमौर, शिमला और उत्तराखंड के लोग शिरगुल देव को अपना कुलदेवता मानते हैं और मनौती पूर्ण होने पर चूड़धार पहुंचकर श्रद्धा से शिरगुल की अराधना व दर्शन करके अपने आपको धन्य मानते हैं। स्वामी कमलानंद ने लोगों से अपील की है कि सर्दियों के दिनों में चूड़धार न आएं, क्योंकि यहां आना जोखिम भरा कार्य है और शून्य तापमान होने से हर व्यक्ति यहां ठहर नहीं सकता है।
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