राहत और आफत के बीच हिमाचल
( सुरेश कुमार, योल, कांगड़ा )
इंतजार था कि बर्फबारी हो और बर्फबारी हुई, तो अब इंतजार है कि कब हालात सामान्य हों। प्रदेश के नौ जिले बर्फबारी की वजह से ब्लैकआउट हो गए और अनुमान यह है कि कई जगहों पर विद्युत आपूर्ति बहाल होने में अभी दो दिन का वक्त लग सकता है। बिजली-पानी की व्यवस्था ठप हो गई और पर्यटकों के इस बर्फबारी ने हाथ खड़े करवा दिए। सैकड़ों बसें बर्फ में फंसी हुई हैं और इस दौरान टैक्सी वालों की मनमानी ने भी प्रदेश की छवि को खराब किया है। टैक्सी वालों ने पर्यटकों को मनाली से कुल्लू पहुंचाने के लिए 10 से 15 हजार रुपए लिए हैं, तो छानबीन करके टैक्सी वालों के लाइसेंस रद्द कर देने चाहिए। ऐसे ही लोगों की वजह से हिमाचल पर्यटन के पर काटे जा रहे हैं। बर्फबारी रिकार्ड तोड़ हुई। इससे राहत तो मिली, लेकिन आफत उससे भी ज्यादा हो गई। प्रशासन की तैयारियां नाकाफी रहीं। इसी वजह से जीवन को पटरी पर लाने के लिए व्यवस्थाएं ढुलमुल ही रही हैं। बरसात और बर्फबारी के बाद के हालात हमें बता देते हैं कि हम कितने पानी में हैं। सरकार तो सिर्फ केंद्र की तरफ देखती है कि वह पैकेज दे और केंद्र की टीम बरसात के मौसम का मुआयना करने करीब छह महीने बाद आ रही है। यानी हिमाचल राम भरोसे!
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