रोल मॉडल न होनें की सफाई

By: Jan 22nd, 2017 12:08 am

UtsavUtsavUtsavफिल्म ‘दंगल’ से प्रसिद्ध हुई जायरा वसीम ने ट्रोल किए जाने के बाद जब यह घोषणा की कि वह खुद को रोल मॉडल नहीं मानती, तो बहस जायरा से अधिक कश्मीरी मानसिकता से पर प्रारंभ हुई। यह पूरा प्रकरण तब प्रारंभ हुआ जब ‘दंगल’ फिल्म की जबरदस्त सफलता और बेहतर परीक्षा परिणामों के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जायरा वसीम से मुलाकात की…

समाज बड़ी मुश्किल से किसी को रोल मॉडल स्वीकार करता है। रोल मॉडल के तौर पर स्वीकृत होना फख्र की बात होती है। ऐसे में यदि कहीं से सफाई देते हुए यह बयान आए कि मैं रोल मॉडल नहीं हूं, तो इसे आश्चर्यजनक ही कहा जाएगा। ऐसे में प्रश्न उस व्यक्ति से अधिक उस समाज के बारे में उठता है, जिसमें वह रहता है। इसका कारण बहुत साफ है। बिना वाह्य दबाव के स्वाभाविक अवस्था में कोई भी व्यक्ति ऐसी सफाई देने के लिए बाध्य नहीं हो सकता कि मुझे रोल मॉडल न माना जाए, मैं रोल मॉडल नहीं हूं।  फिल्म ‘दंगल’ से प्रसिद्ध हुई जायरा वसीम ने ट्रोल किए जाने के बाद जब यह घोषणा की कि वह खुद को रोल मॉडल नहीं मानती, तो बहस जायरा से अधिक कश्मीरी मानसिकता से प्रारंभ हुई। यह पूरा प्रकरण तब प्रारंभ हुआ जब ‘दंगल’ फिल्म की जबरदस्त सफलता और बेहतर परीक्षा  परिणामों के बाद  जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जायरा वसीम से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने जायरा को राज्य का रोल मॉडल बताया। यह प्रशंसा अनायास नहीं थी। जायरा ने बेहतरीन अभिनय से अपना लोहा तो मनवाया था ही, दसवीं की परीक्षा में 92 फीसदी अंक भी प्राप्त किए थे। जायरा का यह बेहतरीन परीक्षा परिणाम इसलिए और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है  क्योंकि वहां पर कट्टरपंथियों की हड़ताल के कारण पिछले कई महीनों से स्कूल बंद थे। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद जायरा ने इस भेंट की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली और इसके बाद उन्हें ट्रोल किया जाने लगा।  मामला बढ़ता देख कश्मीरियों की भावनाओं को ‘आहत’ करने को लेकर उन्होंने माफीनामा पोस्ट किया, लेकिन बाद में उसे सोशल मीडिया अकाउंट से हटा दिया। माफीनामे को हटाने के बाद उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए एक और पोस्ट की, लेकिन बाद में उसे भी हटा लिया। इस पूरे प्रकरण से स्पष्ट था कि जायरा के भीतर एक कशमकश चल रही थी। जायरा के ट्रोल होने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जावेद अख्तर, अनुपम खेर, स्वरा भास्कर और विवेक अग्निहोत्री जैसी फिल्मी हस्तियां उनके समर्थन में सामने आईं और उन लोगों पर बरसीं जिन्होंने जायरा को ट्रोल किया और देश में उनकी ‘आजादी’ पर सवाल उठाया। बाद में, जायरा वसीम के समर्थन में आमिर खान भी उतरे और एक पोस्ट के जरिए कहा कि आप मेरे लिए रोल मॉडल हैं। आमिर खान ने कहा, ‘मैं समझ सकता हूं और कल्पना भी कर सकता हूं कि किस वजह से आपको यह बयान जारी करना पड़ा, ‘जायरा मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि हम सब तुम्हारे साथ हैं। आप जैसी खूबसूरत, प्रतिभावान और मेहनती बच्ची सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के लिए रोल मॉडल है, मेरे लिए भी आप जरूर एक रोल मॉडल हैं।’  उमर अब्दुल्ला ने पोस्ट किया कि एक 16 साल की लड़की को माफी मांगने पर मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, वह भी कथित रूप से इस बात के लिए कि उसने महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की है। हम कहां जा रहे हैं? जावेद अख्तर ने पूछा कि जो लोग छत पर खड़े होकर आजादी चिल्लाते हैं, वे दूसरों की आजादी की बिलकुल चिंता नहीं करते। अनुपम खेर की टिप्पणी थी कि ‘डियर जायरा वसीम, आपका माफीनामा दुखद है लेकिन हिम्मत से भरा है। यह उन लोगों की कायरता को बेनकाब करता है, जिन्होंने आपको इसे लिखने पर बाध्य किया।  मालिनी अवस्थी ने तंज कसते कहा कि जायरा के साथ ज्यादती पर किरण राव का क्या रुख है, इसे आमिर को देश को बताना चाहिए। यदि महबूबा मुफ्ती ने जायरा जैसी बेटियों को कश्मीर के लिए नई उम्मीद बताया, तो इसमें गलत क्या था? यदि कश्मीर की अन्य लड़कियां जायरा को रोल मॉडल मानने लगेंगी, तो इससे किनकी कीमत घटेगी, उन्हें पहचानना मुश्किल नहीं है। सवाल यह है क्या जायरा के साथ हुए व्यवहार को असहिष्णु माना जा सकता है। यदि हां, तो सहिष्णुता का सरोकार इस बार मुखर क्यों नहीं हो रहा है!

– डा.जयप्रकाश सिंह


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