वाटरगार्ड आंदोलन को तैयार

By: Jan 13th, 2017 12:01 am

पंचायतों में आठ घंटे ड्यूटी देने पर भी नहीं बनी स्थायी नीति

सुंदरनगर —  पिछले करीब एक दशक से जलरक्षक पंचायतों में छह से आठ घंटे ड्यूटी दे रहे हैं, लेकिन अभी तक प्रदेश सरकार ने इस कैडर के कर्मियों के लिए कोई भी नीति नहीं बनाई है। इस बात के विरोध में प्रदेश सरकार के ढुलमुल रवैये के प्रति जलरक्षक बिफर गए हैं। पंचायतों में तैनात 6200 जलरक्षकों ने प्रदेश में वाटर सप्लाई बंद करने और सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने का निर्णय लिया। यहां जवाहर पार्क सुंदरनगर में जलरक्षकों ने बैठक का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता प्रधान प्रेम सिंह ने की। बैठक में जलरक्षकों ने निर्णय लिया है कि पिछले दस सालों से सरकार इस कैडर के कर्मियों की अनदेखी कर रही है। समय पर कर्मियों को वेतन नहीं मिल रहा है। प्रदेश के अधिकतर जिलों में जलरक्षकों को एक साल से ऊपर समय बिना वेतन सेवाएं देते हो चुका है। प्रेम सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार में जलरक्षकों की तैनाती की गई थी। उस समय मात्र 750 रुपए मानदेय दिया जाता था, भाजपा की सरकार में पूर्व सीएम धूमल ने मानदेय में 600 रुपए बढ़़ोतरी करके 1350 रुपए किया था, लेकिन कांग्रेस राज में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 150 रुपए मानदेय में वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जलरक्षकों के लिए कोई भी नीति नहीं बनाई है। इस बात से उग्र होकर प्रदेश भर के जलरक्षकों ने सड़कों पर उतरने का मन बना लिया है। उन्होंने बताया कि अगर कहीं पर कर्मियों को मानदेय भी मिल रहा है तो पंचायत प्रधानों द्वारा इसे देने में विलंब किया जा रहा है, उल्टा छह से आठ घंटे काम लिया जा रहा है। बैठक में जलरक्षकों में नरेश, ओम प्रकाश, जगदीश चंद, शेर सिंह, पुन्नू राम, भीखम राम, संजय, राजू राम, जिंदू राम, केसर सिंह, राम दयाल, गिरधारी लाल, हरदेव, संजय, मोहन, ज्ञान चंद, भूपेंद्र, महेंद्र व इंद्र  आदि कर्मी मौजूद थे।


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