वैध कब्जों पर सरकार कोई ठोस नीति बनाए

By: Jan 4th, 2017 12:01 am

( एसएस सिपहिया, ढलियारा )

माननीय उच्च न्यायालय ने सितंबर, 2015 में हिमाचल सरकार को आदेश दिए थे कि वह सरकारी भूमि पर वैध कब्जाधारियों को मालिकाना हक देने के लिए तीन महीने में पूर्ण स्वामित्व योजना लाने पर विचार करे। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि आने वाली योजना में कोई तय सीमा नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे चुनिंदा लोगों को ही लाभ मिलेगा। इस योजना के तहत कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद तय की गई राशि का भुगतान करने पर लंबे समय से सरकारी भूमि पर कब्जाधारी भू-मालिक बन सकते हैं। इसके बाद सरकार ने दस बीघा तक पुश्तैनी छोटे कब्जाधारी किसानों, बागबानों, झुग्गी-झोंपड़ी, गरीब मजदूर लोगों व पौंग डैम की जद में आने वाले भूमिहीन किसानों को बेदखल करने के बजाय उन्हें मालिकाना हक देने की बात कही। सरकार दस बीघा तक कब्जे  वाले किसानों को उनका मालिकाना हक देने के लिए कोई ठोस नीति बनाए। सरकार ने सितंबर, 2015 को विधानसभा में ऐलान किया था कि अवैध कब्जों को लेकर लोगों को राहत देने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव वन की अध्यक्षता में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है, जो तीन महीने के भीतर सभी पहलुओं पर विचार करके अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी, लेकिन इस दिशा में भी कोई प्रगति नहीं हुई है। गत दिनों राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी की बैठक हुई है, जिसमें उपरोक्त वर्गों को राहत देने की योजना बन रही है। यह एक अच्छी शुरुआत है। सरकार किसानों को बेदखल करने की बजाय उन्हें बसाने का प्रबंध करे।

 


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