सर्दियों में बच्‍चों को फलू से बचाएं

By: Jan 7th, 2017 12:15 am

एनफ्लुएंजा (फ्लू) वायरल बुखार है, जो सर्दियों के दौरान बच्चों को आम तौर पर हो जाता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बच्चे इसका शिकार जल्दी हो जाते हैं। अचानक बुखार हो जाना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और बेचैनी के साथ-साथ खराब गला, सरसराहट, नाक बहना और सांस प्रणाली की समस्याएं होना आदि सामान्य फ्लू के लक्षण हैं। बच्चों में फ्लू के लक्षण जुकाम और सांस प्रणाली के ऊपरी हिस्से के संक्रमण जैसे ही होते हैं। इससे उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डा. अग्रवाल ने बताया कि फ्लू बहुत तेजी से फैलता है, खास कर तब जब बच्चे स्कूल के बंद कमरों में रहते हैं। जब किसी को छींक या खांसी से निकले नमी कण हवा के जरिये फैलते हैं तो सांस के जरिये दूसरे बच्चों के अंदर भी चले जाते हैं या फिर जब बच्चे नाक से बहने वाले मवाद या संक्रमित थूक के संपर्क में आते हैं। बच्चों को इससे बचाने का सबसे आसान तरीका है सालाना वैक्सीनेशन। पेरेंट्स को इस बारे में डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके बिगड़ने से कानों से मवाद निकलना, दमा और निमोनिया जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। बिगड़ा हुआ निमोनिया गंभीर और तेजी से जानलेवा हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी लक्षण बच्चों में हों, सब में अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। आमतौर पर इसका बुखार एक सप्ताह से दस दिन तक रहता है। डा.अग्रवाल बताते हैं, सर्दियों में जिन बच्चों को बुखार हो, बुखार के साथ सांस प्रणाली की समस्या हो, सीने में जकड़न की वजह से सांस लेने में समस्या हो, निमोनिया हो, 100 से ज्यादा बुखार हो, तीव्र खांसी या खराब गला हो तो उन बच्चों में फ्लू होने की आशंका रहती ही है। उन्होंने बताया कि इलाज अकसर लक्षणों का ही किया जाता है। डाक्टर की सलाह अनुसार पैरासीटामोल की खुराक 48 घंटे तक देते रहना चाहिए और बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आराम करने, तरल आहार लेने, खास तौर पर गर्म तरल आहार लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। एक बात गौर करने वाली है कि फ्लू वायरस की वजह से होता है।


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