सहकारी बैंक ग्राहकों पर नोटबंदी की मार

By: Jan 12th, 2017 12:01 am

पुरानी करंसी जमा न होने से लोगों का उठा भरोसा, प्रबंधन को करनी पड़ रही जद्दोजहद

शिमला —  नोटबंदी के चलते हिमाचल में भी जिला सहकारी बैंकों के ग्राहकों को खासी असुविधा का सामना करना पड़ा। इन बैकों में पुरानी करंसी लोग जमा नहीं करवा पाए। इसके चलते सहकारी बैंकों को  अपने ग्राहकों का भरोसा बनाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। हालांकि सहकारी बैंक प्रबंधकों का दावा है कि नोटबंदी के बावजूद उन्होंने अपने ग्राहकों की पैसे की समस्या को गंभीरता ले लेते हुए उनको नए नोट उपलब्ध करवाए।  नोटबंदी के  एक सप्ताह के दौरान ही देश के 17 राज्यों के जिला सहकारी बैंकों के पास नौ हजार करोड़ रुपए जमा हो गए थे। हालात यह थे कि वे बैंक जो नुकसान झेल रहे थे या जिनकी नॉन परफॉर्मिंग असेट्स की समस्या बहुत ज्यादा थी, वे भी पुराने करंसी के नोटों से भर गए। यही वजह है कि आरबीआई को इन बैंकों में पुराने नोट लेने पर रोक लगा दी थी।  हिमाचल में भी जिला सहकारी बैंक इस आदेश की जद में आ गए थे। हिमाचल में सबसे ज्यादा  कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक प्रभावित हुआ था। इसकी करीब 210 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत हैं। कुछ और छोटे-मोटे सहकारी बैंकों पर भी इस आदेश का असर पड़ा था। दरअसल आरबीआई ने अपने पत्र में केसीसीबी को जिला केंद्रीय बैंक बताकर पुरानी करंसी लेने पर रोक लगा दी थी। इसी तरह जोगिंद्रा सहकारी बैंक सहित कई अन्य बैंकों पर भी पुराने करंसी लेने पर रोक लगाई गई थी। इसके चलते इन बैंकों के ग्राहकों में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई थी। नोट जमा करवाने को लेकर ग्राहकों की बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों में नोक-झोंक तक की नौबत आई। इसके चलते ग्राहकों में भी इन बैंकों के प्रति भरोसा कम हुआ। हालांकि इस बारे में इन बैंकों का अपना तर्क है। बैंक प्रबंधनों की मानें तो वे  आरबीआई के मापदंडों के अनुरूप ही काम कर रहे हैं और उनको क्या दर्जा मिला है, इसका कोई फर्क नहीं पड़ता। पुरानी करंसी जमा करने की बात छोड़ दें तो उनको आरबीआई से सीधा पैसा मिल रहा है और ग्राहकों को भी पर्याप्त पैसा उपलब्ध करवाया जा रहा है।


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