सुरक्षा को दें तरजीह
( किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर )
भारतीय यातायात की भाग्यरेखा कही जाने वाली भारतीय रेल में यदि तीन माह के भीतर तीन हादसे हो जाते हैं, तो संबंधित मंत्रालय के लिए यह निश्चित तौर पर यह गहन चिंता का विषय होना चाहिए। आंध्रप्रदेश में हुए हादसे में करीब 40 लोगों की जान चली गई है। आखिर इस हानि के लिए किसे कसूरवार मानें। हालांकि शुरुआती दौर में इसके कई कारण निकलकर सामने आ रहे हैं। कहीं पटरी के क्षतिग्रस्त होने को इस हादसे की वजह माना जा रहा है, तो कहीं इस दर्दनाक हादसे की वजह राष्ट्रघाती ताकतों को माना जा रहा है। बहरहाल कारण जो भी रहे हों, लेकिन इस हादसों के रूप में देश जान और माल के रूप में बहुत कुछ गंवा चुका है। ऐसे में मंत्रालय को अपनी जीरो लॉस पोलिसी को धरातल पर उतारने के लिए प्रयास तेज करने होंगे। भले ही यह लक्ष्य इतना सरल नहीं दिखता है, फिर भी निकट भविष्य में इसे हासिल करने की कोशिश होनी चाहिए। इस बार जहां रेल बजट को अलग से पेश करने के बजाय आम बजट के साथ ही पेश किया जाएगा, ऐसे में रेल मंत्री पर लोकलुभावन घोषणाएं करने का कोई अतिरिक्त दबाव नहीं होगा। ऐसे में यहीं बेहतर होगा कि रेल तंत्र में विस्तार के बजाय सुरक्षित सफर सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएं।
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