हाउस टैक्स में फंसे नगर परिषद के अढ़ाई करोड़

By: Jan 16th, 2017 12:05 am

मैहतपुर —  नगर परिषद मैहतपुर-बसदेहड़ा के कई लोगों द्वारा अपना हाउस टैक्स न जमा करवाकर लगभग अढ़ाई करोड़ पर कुंडली मार कर बैठे हुए हैं। हाउस टैक्स न देने वाले लोग नगर परिषद द्वारा बार-बार हाउस टैक्स मांगने पर भी टैक्स भरने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। नगर परिषद अपना वकाया हाउस टैक्स लोगों से बसूलने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रही है। नोटबंदी के चलते पुराने नोट जमा करवाने को लेकर भी लोगों को जमा करवाने के लिए समय दिया गया था। नगर परिषद की ओर से कई बार इन लोगों को नोटिस भी जारी किए हैं तथा नगर परिषद की होने वाली बैठकों में भी इस पर गहन चर्चा की जाती है, लेकिन इसके बावजूद ये लोग हाउस टैक्स जमा नहीं करवा पाए हैं। नगर परिषद मैहतपुर-बसदेहड़ा तहत नौ वार्ड हैं, करीब साढ़े दस हजार की आवादी वाली इस नगर परिषद में कई अहम कार्य करवाए जाते है, लेकिन कई विकास कार्य अभी भी लंबे समय से लंबित पड़े हैं। नगर परिषद की करोेड़ों की राशि लोगों के पास फंसी हुई है। फिर लोग नगर परिषद की ओर से बेहतर सुविधाएं मुहिया करवाने की बात करते हैं। अगर लोग अपना वकाया हाउस टैक्स जमा करवा दें, तो नगर परिषद के विकास कार्यों को ओर अधिक बढ़ावा दिया जा सकता है। वहीं इस नगर परिषद में एक वार्ड ऐसा भी है, जिसके करीब डेढ़ करोड़ रुपए हाउस टैक्स का आज दिन तक जमा नहीं हुए हैं, जो कि अकेला एक नंबर वार्ड है यहां पर औद्योगिक क्षेत्र स्थित है। इस अकेले एक वार्ड का डेढ़ करोड़ और बाकी आठ वार्ड का एक करोड़ रुपए वकाया हाउस टैक्स है। नगर परिषद के बढ़े डिफाल्टरों को रिक्वरी नोटिस भेजने के बावजूद हाउस टैक्स नहीं जमा हुआ। इसके साथ ही स्थानीय औद्योगिक क्षेत्र भी पिछले एक दशक से ज्यादा समय से हाउस टैक्स न देने की जीद पर अडे़ हुए हैं, जबकि औद्योगिक क्षेत्र मैहतपुर नगर परिषद से अपने आप को अलग करने की जीद करता आ रहा है। यह मामला भी आज दिन तक हाउस टैक्स न भरने के लिए रोड़ा बना रहा है और नगर परिषद को लाखों रुपए का चूना भी लग रहा है। यह मामला अभी भी किसी अनबुझी चिंगारी की तरह सुलग रहा है।

दो टैक्स देने में असमर्थ

साल 2012 भी स्थानीय उद्यमियों को उन्हीं उम्मीदों के सहारे छोड़कर रुखस्त हो गया है। मगर औद्योगिक क्षेत्र को नगर परिषद क्षेत्र से अलग नहीं करवा पाया। दूसरी और उद्यमियों का तर्क है कि वह आईएडीए को टैक्स अदा करते हैं, लिहाजा नगर पंचायत द्वारा वसूला जाने वाला हाउस टैक्स अदा नहीं कर सकते। वे इसी दोहरी टैक्स वसूली की संज्ञा देते हुए नगर पंचायत के टैक्स का विरोध करते आ रहे हैं।

2005 में चुनावों का विरोध

इस चिंगारी को हवा देने वाले उद्यमियों में पाई जाने वाली निराशा के चलते शायद यह मामला अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाया है, जिसके विरोध के चलते मैहतपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी नगर पंचायत के साल 2005 के निकाय चुनावों का बायकाट तक कर चुके हैं। पिछले एक दशक से ज्यादा समय से उठ रही उद्यमियों की अवाज आज भी दबकर रह गई है। उद्यमियों का साल दर साल इसी उम्मीद में शुरू होता है। कि इस साल औद्योगिक क्षेत्र को नगर परिषद क्षेत्र से अलग कर दिया जाएगा, लेकिन उम्मीदों में ही साल खत्म भी हो जाता है।


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