हिमाचली सेब पर छाया संकट

By: Jan 17th, 2017 12:05 am

40 हजार हेक्टेयर भूमि पर पेड़ पुराने, उत्पादन के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका

NEWSसोलन— हिमाचल प्रदेश में 40 हजार हेक्टेयर भूमि पर उगे सेब की फसल का अस्तित्व खतरे में है। प्रदेश में शिमला, कुल्लू, किन्नौर व मंडी इत्यादि के ऊपरी इलाकों को मिलाकर कुल एक लाख दस हजार हेक्टेयर भूमि पर सेब का उत्पादन होता है। इनमें से करीब 40 हजार हेक्टेयर भूमि पर उगे सेब के पौधे अब उत्पादन की दृष्टि से अंतिम सांसें गिन रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में सेब के उत्पादन के आंकड़े प्रत्येक वर्ष अलग-अलग होते हैं। औसतन यहां पर तीन लाख से लेकर नौ लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। बीते 2010-11 में बागबानी के अनुरूप चले मौसम के मिजाज के फलस्वरूप प्रदेश में सबसे अधिक नौ लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ था। नौणी विश्वविद्यालय के प्लांट विभागाध्यक्ष डा. एनके शर्मा का कहना है कि सेब का एक पौधा औसतन 40 से 45 वर्ष तक अधिकतम फल देता है तथा उसके बाद पेड़ की उत्पादन क्षमता में बहुत अधिक कमी आ जाती है। शिमला व कुल्लू जिलों में अब सेब के बागीचे पुराने हो चले हैं। लिहाजा इन जिलों में रीप्लांटेशन की सबसे अधिक आवश्यकता महसूस की जा रही है। यदि समय रहते प्रदेश के इन जिलों में सेब के पुराने पौधों को बदलकर या उन्हीं के साथ दूसरे पौधों को रीप्लांट नहीं किया गया तो भविष्य में सेब के उत्पादन में व्यापक तौर पर कमी आ सकती है। इस गंभीर समस्या पर प्रदेश के उद्यान विभाग के शीर्ष अधिकारियों व नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के बीच वार्ताओं का दौर भी चल पड़ा है। एक हेक्टेयर भूमि पर 400 पौधों को रोपित किया जा सकता है, अतः प्रदेश में 40 हजार हेक्टेयर भूमि पर सेब की फसल का आंकड़ा सही रखने के लिए एक करोड़ 72 लाख के करीब सेब के पौधों की आवश्यकता है। इसके लिए सेब की स्पर वैरायटी के रूट स्टॉक तैयार करने का खाका तैयार किया जा रहा है। स्पर वैरायटी का पौधा तीन वर्ष में सैंपल फ्रूट तथा पांच वर्षों के उपरांत पूरी क्षमता से फल दे देता है। नौणी विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान प्रो. केएस वर्मा ने कहा कि रीप्लांट की अब आवश्यकता है तथा पूरे प्रदेश से सही आंकड़े एकत्रित किए जा रहे हैं।

45 लाख के प्रोजेक्ट पर टिकी आस

हिमाचल प्रदेश में 40 हजार हेक्टेयर भूमि पर सेब की फसल का आंकड़ा सही रखने के लिए सेब के करीब एक करोड़ 72 लाख नए पौधों की आवश्यकता है। रीप्लांट के लिए नौणी विश्वविद्यालय को आईसीएआर से 45 लाख रुपए का एक प्रोजेक्ट भी मिला है। यह प्रोजेक्ट तीन वर्षों के लिए होगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App