हिमाचल में मनरेगा दे गई दगा

By: Jan 1st, 2017 12:01 am

नौ महीने में 156 को ही मिल पाया सौ दिन का रोजगार

नाहन— केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी स्कीम मनरेगा प्रदेश में हांफने लगी है। सरकार के 100 दिन घर द्वार पर रोजगार उपलब्ध करवाने के दावे इस योजना के तहत पूरी तरह खोखले साबित हो रहे हैं। ग्रामीण विकास विभाग व पंचायती राज के ग्रामीणों को 100 दिन का मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध करवाना खोखला साबित हो रहा है। 2016 में नौ महीनों में अप्रैल से 31 दिसंबर तक राज्य में केवल 156 लोगों को ही 100 दिन का रोजगार मनरेगा के तहत मिल पाया है। विभाग द्वारा लिए गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 1172773 जॉब कार्ड होल्डर हैं। इनमें से केवल 156 जॉब कार्ड धारकों को ही इस वर्ष 100 दिन का रोजगार मिल पाया है। 100 दिन का रोजगार उपलब्ध करवाने में सिरमौर, मंडी व चंबा जिला अन्य जिलों की अपेक्षा बेहतर हैं। सिरमौर में सबसे अधिक 33 जॉब कार्ड धारकों को, मंडी में 32, चंबा में 31, हमीरपुर में 18, शिमला में 13 तथा बिलासपुर में 12 को रोजगार उपलब्ध हुआ है, जबकि कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, लाहुल-स्पीति व ऊना जिले दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर पाए हैं। सोलन में एक भी व्यक्ति को रोजगार नहीं मिला है। इससे जाहिर होता है कि या तो संबंधित विभाग मनरेगा को सुचारू रूप से इंप्लीमेंट नहीं कर पा रहे हैं या फिर ग्राम पंचायतें मनरेगा के कार्यों को अहमियत नहीं दे रही हैं। कई कार्यों के आकलन के बाद कुछ कामगारों को दैनिक मजदूरी 100 रुपए से भी कम मिलती है, जबकि न्यूनतम मजदूरी करीब 200 रुपए है, जबकि निजी क्षेत्र में ठेकेदार की मार्फत श्रमिकों को 300 से 400 रुपए दैनिक दिहाड़ी मिल रही है। इसके चलते लोग मनरेगा की अपेक्षा निजी क्षेत्र में कार्य करने को अहमियत दे रहे हैं।

ये हैं आंकड़े

जिला      रोजगार

सिरमौर    33

मंडी        32

चंबा       31

हमीरपुर    18

बिलासपुर 12

शिमला    13

ऊना       6

कांगड़ा    3

कुल्लू      3

लाहुल-स्पीति         3

किन्नौर    2

सोलन     0


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