हिमाचल में 25 साल बाद बड़ा हिमपात

By: Jan 7th, 2017 4:09 pm

7d5-5शिमला — 25 वर्षों के बाद शिमला सहित प्रदेश के अन्य पर्वतीय हिस्सों में शुक्रवार शाम से ही लगातार बर्फबारी जारी है। हिमाचल में ताजा बर्फबारी व बारिश से कमजोर पड़ते ग्लेशियर्स को आक्सीजन मिली है। बर्फबारी के कारण पेयजल स्रोत भी प्राकृतिक तौर पर रिचार्ज होंगे। यही नहीं, प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बर्फबारी व बारिश के कारण अब गर्मियों में भूमिगत जल स्तर बढऩे में भी दिक्कतें नहीं आएंगी। प्रदेश का यह पहला बड़ा हिमपात मौसम विशेषज्ञ के मुताबिक कृषि व बागबानी के लिहाज से भी बेहतरीन साबित होगा। हिमाचल में 27 से 30 फीसदी तक भूमिगत जल का उपयोग औद्योगिक व रिहायशी क्षेत्रों में किया जा रहा है। खासतौर पर गर्मियों के दिनों में भूमिगत जल का स्तर गिरने से कांगड़ा, बिलासपुर, मंडी, सोलन, हमीरपुर और ऊना में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि दिसंबर व जनवरी से बर्फ व बारिश की अच्छी दर रिकार्ड न की जा सके तो गर्मियां संकट लिए हुए आती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पर्वतीय क्षेत्रों में हिमपात की अच्छी दर व मैदानी इलाकों में बारिश होने से गर्मियों के संकट से निजात मिल सकती है। नवंबर व दिसंबर का महीना बिना बारिश के गुजरा। सूखे के कारण किसान जहां गेहूं की बुआई नहीं कर पाए, वहीं बागबानी क्षेत्रों में बागीचों का रख-रखाव भी संभव नहीं हो पाया। मगर प्रदेश भर में बारिश व बर्फबारी की अच्छी दर से अब उम्मीदें बंधी है कि नया साल कृषि व बागबानी के लिए बेहतर साबित होगा। हिमाचल ऐसा राज्य है जहां भूमिगत जल को रिचार्ज करने की कोई भी अप्राकृतिक तकनीक मौजूद नहीं है। प्राकृतिक तौर पर जल स्त्रोत रिचार्ज होने से औद्योगिक क्षेत्रों को भी दिक्कतें पेश नहीं आती हैं। आंकड़ों के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में 335 के करीब छोटे-बड़े ग्लेशियर मौजूद हैं। इनमें एशिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर शिंगरी लाहुल-स्पीति में मौजूद है। पिछले दस वर्षों में विपरीत मौसमी परिस्थितियों के नतीजतन यह दस मीटर तक खिसक चुका है। अभी तक अनुसंधान बताते हैं कि आगामी वर्षों में यदि बर्फबारी की दर सही रही तभी ग्लेशियरों का अस्तित्व बचा रह सकता है, वरना ग्लोबल वार्मिंग व अन्य कारकों के कारण न केवल 2040 तक जल संकट बढ़ सकता है, बल्कि अन्य दिक्कतें भी पेश आ सकती हैं।


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