25 साल का रिकार्ड दफन

By: Jan 8th, 2017 12:05 am

राजधानी में दो फुट गिरी बर्फ, रोहतांग में सात फुट हिमपात, पांच एनएच समेत 535 सड़कें बंद, एचआरटीसी की 835 बसें विभिन्न जगहों पर फंसी, कई जगह बिजली गुल

newsशिमला — हिमाचल प्रदेश ने शनिवार को बर्फबारी का वह नजारा देखा, जो इससे पहले करीब 25 वर्ष पहले देखा गया था। शनिवार को राजधानी में करीब दो फुट बर्फबारी रिकार्ड की गई और खबर लिखे जाने तक यह क्रम लगातार जारी था। इससे पहले शहर में इतनी ज्यादा बर्फ साल 1990 में गिरी थी। शनिवार को रोहतांग में सात फुट, मनाली में डेढ़ फुट, चंबा के डलहौजी में एक फुट, बकरोटा में एक फुट तथा लक्कड़मंडी डैनकुंड में तीन फुट हिमपात दर्ज किया गया है। बारिश-बर्फबारी से पांच एनएच समेत प्रदेश भर की 535 से ज्यादा सड़कें बंद हैं। इसके चलते एचआरटीसी की 835 बसें विभिन्न जगहों पर फंसी हुई हैं, जबकि पर्यटकों के भी वाहन भी कई जगहों पर फंसे होने का समाचार है। अकेले कुल्लू में पर्यटकों के 200 वाहन फंसे बताए जा रहे हैं। सड़कें बहाल करने को नौ हजार मजदूर व कर्मचारी लगाए गए हैं। प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर बिजली भी गुल बताई जा रही है। शिमला सहित प्रदेश के अन्य पर्वतीय हिस्सों में शुक्रवार शाम से ही लगातार बर्फबारी जारी है। हिमाचल में ताजा बर्फबारी व बारिश से कमजोर पड़ते ग्लेशियर्ज को ऑक्सीजन मिली है। बर्फबारी के कारण पेयजल स्रोत भी प्राकृतिक तौर पर रिचार्ज होंगे। यही नहीं, प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बर्फबारी व बारिश के कारण अब गर्मियों में भूमिगत जल स्तर घटने की भी दिक्कत नहीं आएगी। प्रदेश का यह पहला बड़ा हिमपात मौसम विशेषज्ञ के मुताबिक कृषि व बागबानी के लिहाज से भी बेहतरीन साबित होगा। हिमाचल में 27 से 30 फीसदी तक भूमिगत जल का उपयोग औद्योगिक व रिहायशी क्षेत्रों में किया जा रहा है। खासतौर पर गर्मियों के दिनों में भूमिगत जल का स्तर गिरने से कांगड़ा, बिलासपुर, मंडी, सोलन, हमीरपुर और ऊना में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि दिसंबर व जनवरी से बर्फ व बारिश की अच्छी दर रिकार्ड न की जा सके तो गर्मियां संकट लिए हुए आती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पर्वतीय क्षेत्रों में हिमपात की अच्छी दर व मैदानी इलाकों में बारिश होने से गर्मियों के संकट से निजात मिल सकती है। नवंबर व दिसंबर का महीना बिना बारिश के गुजरा। सूखे के कारण किसान जहां गेहूं की बुआई नहीं कर पाए, वहीं बागबानी क्षेत्रों में बागीचों का रख-रखाव भी संभव नहीं हो पाया, मगर प्रदेश भर में बारिश व बर्फबारी की अच्छी दर से अब उम्मीदें बंधी हैं कि नया साल कृषि व बागबानी के लिए बेहतर साबित होगा। आंकड़ों के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में 335 के करीब छोटे-बड़े ग्लेशियर मौजूद हैं। इनमें एशिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर शिंगरी लाहुल-स्पीति में मौजूद है। पिछले दस वर्षों में विपरीत मौसमी परिस्थितियों के नतीजतन यह दस मीटर तक खिसक चुका है। अभी तक अनुसंधान बताते हैं कि आगामी वर्षों में यदि बर्फबारी की दर सही रही, तभी ग्लेशियरों का अस्तित्व बचा रह सकता है वरना ग्लोबल वार्मिंग व अन्य कारकों के कारण न केवल 2040 तक जल संकट बढ़ सकता है, बल्कि अन्य दिक्कतें भी पेश आ सकती हैं।

हाइडल प्रोजेक्ट्स को संजीवनी

हिमाचल में सतलुज, ब्यास व रावी नदियों पर आधारित बड़े हाइडल प्रोजेक्ट्स हैं। इनमें ऊर्जा उत्पादन हर वर्ष जहां अच्छी बर्फबारी पर निर्भर करता है, वहीं बारिश भी इसमें बड़ा कारण बनती है। लिहाजा अनुमान यही है कि ताजा बर्फबारी व बारिश की अच्छी शुरूआत से इन क्षेत्रों के लिए नया वर्ष सुखद संदेश लेकर ही आएगा।


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