34 मेगा फूड पार्क प्रोजेक्ट अधर में

By: Jan 2nd, 2017 12:05 am

कृषि मंत्रालय से संबंधित स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्ली – ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फलों एवं सब्जियों का प्रसंस्करण कर उन्हें खराब होने से बचाने में सक्षम और स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले मेगा फूड पार्कों की स्थापना का काम धन की कमी के कारण अधर में लटका हुआ है। कृषि मंत्रालय से संबंधित स्थायी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में देश में 34 मेगा फूड पार्कों के स्थापना में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा मांगी गई राशि के नहीं मिलने के कारण परियोजनाओं के क्रियान्वयन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, जिसके कारण योजनाएं निर्धारित उद्देश्यों को हासिल नहीं कर सकी है। समिति ने कहा है कि  इस मंत्रालय  को राशि के आबंटन के लिए वित्त मंत्रालय से पुरजोर आग्रह करना चाहिए। वरिष्ठ सांसद हुक्मदेव नारायण यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि मेगा फूड पार्क योजना के लिए 12वीं योजना के दौरान 1714 करोड़ रुपए आबंटित किए गए थे, जिसमें से बजट अनुमान स्तर पर केवल 442 करोड़ रुपए आबंटित किए गए तथा योजना अवधि के प्रथम चार वर्ष के दौरान संशोधित अनुमान स्तर पर इसे घटाकर 386.89 करोड़ रुपए कर दिया गया। मंत्रालय की ओर से दावा किया गया था कि यदि अतिरिक्त आबंटन किया गया होता तो वह इस योजना के तहत अधिक राशि का उपयोग करने की स्थिति में था। फूड पार्कों को रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड में 2000 करोड़ रुपए की एक विशेष निधि का सृजन किया गया है। नाबार्ड इस विशेष निधि से मेगा फूड पार्क परियोजनाओं को ऋण स्वीकृत करने की प्रक्रिया में तेजी लाए इसके लिए मंत्रालय इस पर कड़ी नजर रख रहा है। सरकार ने अपने उत्तर में कहा है कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर, उत्तराखंड के हरिद्वार, कर्नाटक के तुमकूर , पंजाब के फाजिल्का, असम के नलबाड़ी, मध्य प्रदेश के खरगौन, झारखंड़ के रांची तथा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में मेगा फूड पार्क परियोजना चालू हो गई है तथा मार्च 2017 तक चार और परियोजनाओं के चालू हो जाने की आशा है।


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