80 वर्षीय सोसायटी पर नोटबंदी भारी

By: Jan 11th, 2017 12:05 am

धर्मशाला – जिला मुख्यालय धर्मशाला की को-आपरेटिव सोसायटी में केसीसी बैंक से पैसा नहीं मिल पा रहा है। सोसायटी को बैंक से कैश न मिलने पर अब ग्राहकों के द्वारा जमा करवाए जा रहे पैसों से ही लेन-देन का काम चलाना पड़ रहा है। सोसायटी में ग्राहकों द्वारा आरडी-एफडी के पैसे जमा करवाए जा रहे हैं, जिनसे विड्राल करने वाले ग्राहकों को पैसा दिया जा रहा है। इसके साथ ही सोसायटी में ग्राहकों के लिए नोटबंदी के कारण पैसे जमा करवाने की सुविधा नहीं मिल पाई है, जिससे सोसायटी के ग्राहकों को मजबूर होकर बैंकों में लंबी लाइनों में लगना पड़ा। नोटबंदी के दौर में भी सोसायटी ने अपने उपभोक्ताओं को छोटे नोटों के जरिए भुगतान किया। धर्मशाला शहरी को-आपरेटिव थ्रिफ्ट एंड कै्रडिट सोसायटी वर्ष 1937 (लगभग 80 वर्ष) से सेवाएं दे रही हैं। वर्तमान में सोसायटी 450 सदस्यों को ग्राहक के रूप में सेवाएं दे रही है। धर्मशाला सोसायटी का सालाना 10 करोड़ से अधिक का कारोबार है। नोटबंदी के दौर में सोसायटी ग्राहकों के आरडी खातों में पैसा जमा होता रहा, जो कि खाते से विड्राल के समय प्रयोग में लाया गया। हालांकि सोसायटी में कार्यरत लोगों का कहना है कि नोटबंदी के बाद सोसायटी के कारोबार में इजाफा हुआ है। नोटबंदी के दौर में सोसायटियों में होने वाले मैच्योर एफडी-आरडी को कुछ लोगों ने आगे समय के लिए फिक्स करना ही बेहतर समझा। सोसायटी में समस्या मात्र केसीसी बैंक से कैश न मिल पाने की वजह से हो रही है। को-आपरेटिव सोसायटी धर्मशाला का खाता कांगड़ा को-आपरेटिव बैंक से चलाया जा रहा है। सोसायटी के सचिव रविंद्र सूद ने बताया कि नोटबंदी से कैश की कमी से जुझना पड़ा है। सोसायटी के लोगों के पुराने नोट जमा नहीं किए जा सकें, लोगों को अधिक कैश भी नहीं मिल पाया, लेकिन धर्मशाला सोसायटी का बिजनेस प्रभावित नहीं हुआ है।


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