अनावश्यक विषयबंदी
( लक्ष्मी चंद, कसौली, सोलन )
हाल ही में ज्ञात हुआ है कि हिमाचल सरकार जमा दो शिक्षा स्तर पर लोक प्रशासन तथा मनोविज्ञान विषयों को समाप्त कर रही है। यह फैसला किसी भी कोण से तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता। सरकार को ध्यान देना चाहिए कि इन दोनों ही विषयों का इनसान को ज्ञान होना जरूरी है। सरकार ने इसी समझ के आधार पर शैक्षणिक कार्यक्रम में ये विषय शामिल किए थे, लेकिन आज ऐसे कौन से हालात पैदा हो गए हैं कि इन दोनों विषयों की पढ़ाई पर विराम लगाना पड़ रहा है। लोक प्रशासन केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिव से लेकर लिपिक तक की कार्य पद्धति को संचालित करता है। इसी तरह मनोविज्ञान भी स्वास्थ शिक्षा भर्ती, पुलिस छानबीन आदि में महत्त्वपूर्ण है। इन विषयों के शिक्षा में महत्त्व को समझते हुए सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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