कौन होगा सुपरिंटेंडेंट, रहेगा सीक्रेट

By: Feb 26th, 2017 12:01 am

स्कूलों में नकल पर नकेल कसने को शिक्षा विभाग की पहल, ई-मेल से देंगे जानकारी

धर्मशाला— हिमाचल में स्कूली छात्रों की वार्षिक परीक्षाओं में इस बार सुपरिंटेंडेंट व बाहर से आने वाले अधिकारी शिक्षकों की जानकारी आसानी से नहीं मिल पाएगी। शिक्षा बोर्ड इस बार ड्यूटियों की जानकारी सीधे स्कूल की ई-मेल पर सूचित करेगा। शिक्षा बोर्ड ने प्रदेश भर में आयोजित होने वाली वार्षिक परीक्षाओं की सूची भी शनिवार को भेज दी है। नकल रोकने के लिए शिक्षा बोर्ड ने इस बार सीसीटीवी कैमरे लगाने के अलावा यह भी एक नया प्रयास किया है, जिससे संबंधित स्कूल के शिक्षकों एवं छात्रों व उनके अभिभावकों को पूर्व योजना के आधार नकल का जुगाड़ करने से रोका जा सके। दसवीं व जमा दो की बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे नंबर लेने की होड़ में नकल का सहारा लेने वाले जुगाडू लोग परीक्षाओं से पहले ही नेट पर देखकर यह पता लगाकर इस काम में जुट जाते हैं। ऐसे में प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने रैंडमली ड्यूटियां लगाने व निजी स्कूलों के परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी लगाकर उनका नियंत्रण सीधे धर्मशाला में रखने का नया प्रयोग कर परीक्षा में नकल रोकने को नई पहल की है। बोर्ड ने गोपनीयता बनाए रखने के लिए नया प्रयोग करते हुए मात्र संबंधित शिक्षकों के स्कूलों को  ही सूचना भेजने की तैयारी की है। पहले बोर्ड से ड्यूटी संबंधी सूचना शिक्षकों को डाक से दी जाती थी, लेकिन अब शिक्षा बोर्ड ने हाईटेक प्रणाली का प्रयोग करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में सुधार व नकल रोकने के लिए अनूठी पहल की है, साथ ही शिक्षकों को भी पूर्व में किसी तरह का  प्रचार करने से ही मनाही की गई है, जिससे गोपनीय आधार पर व्यवस्था को सख्त बनाया जा सके।

अब सेटलमेंट तो भूल जाएं

पहले अधिकतर शिक्षक व बोर्ड के अधिकारी जुगाड़ से ही अपने चेहतों को उनके अप्लाई किए गए परीक्षा केंद्रों में तैनाती दे देते थे, जिसकी सूचना भी पहले ही सभी तक पहुंच जाती थी और जुगाड़ तंत्र सक्रिय हो जाते थे। इन सब बातों से शिक्षा बोर्ड के कार्यों की गोपनीयता व गरिमा पर भी सवाल उठने लगे थे, लेकिन ऐसा न हो इस सबसे बचने को शिक्षा बोर्ड ने कड़े व नए फैसले लेते हुए छात्रों केे पूर्व पंजीकरण से लेकर परीक्षाओं तक की व्यवस्था को ऑनलाइन कर पारदर्शी बना दिया है, जिससे गड़बड़ करने वालों पर शिकंजा कसते हुए मेहनत करने वाले छात्रों को न्याय दिलाया जा सके।


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