गुरु गोबिंद सिंह का राष्ट्रीय संदर्भों में मूल्यांकन करें

By: Feb 12th, 2017 12:01 am

धर्मशाला    – प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में सम्राट ललितादित्य ब्याख्यानमाला के तहत आयोजित संगोष्टी में कुलपति डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह का राष्ट्रीय संदर्भों में अभी तक मूल्यांकन नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि दसम ग्रंथ का अधिकांश हिसा हिमाचल में ही रचा गया था। दसम परंपरा पूरे हिंदोस्तान की परंपरा थी, लेकिन अंग्रेजों ने मंदिर और गुरुद्वारे के नाम पर बांटते हुए इसे दो धर्मों में विभाजित करने का षड्यंत्र रचा था। इसके परिणाम आज भुगतने पड़ रहे हैं। डा. अग्निहोत्री ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह के व्यक्त्तिव का ठीक ढंग से मूल्यांकन करें तो स्पष्ट हो जाता है कि वह पूरे देश के बारे में सोचते थे। उन्होंने खालसा के अंतर्गत भारत के सभी क्षेत्रों और जातियों के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया था। डा. अग्निहोत्री शनिवार को गुरु गोबिंद सिंह का दसवां ग्रंथ-संदेश एवं मूल्यांकन विषय पर बोल रहे थे। डा. अग्निहोत्री ने दसम गुरु परंपरा को अखिल भारतीय परंपरा बताया और कहा कि दस गुरुओं की परंपरा का भारतीय संस्कृति को बचाने में अहम योगदान रहा है।


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