गेयटी थियेटर में ‘खुदा हाफिज…’

By: Feb 12th, 2017 12:05 am

शिमला – शिमला गेयटी थियेटर में शनिवार को नाटक ‘खुदा हाफिज’ का मंचन किया गया। रंगप्रिया थियेटर सोसायटी की ओर से मंचित यह नाटक समरेश बसु की कहानी पर आधारित रहा। नाटक के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास कलाकारों ने बखूबी किया कि जब भी धर्म, संप्रदायिकता के नाम पर दंगे होते हैं तो उसका सबसे अधिक प्रभाव आम आदमी पर होता है। इसी तरह की एक दशा को कलाकारों ने अपने नाटक के माध्यम से दिखाया। नाटक की कहानी हिंदू-मुस्लिम में हुए कर्फ्यू से शुरू होती है। नाटक की शुरुआत में दिखाया जाता है कि कर्फ्यू के दौरान एक व्यक्ति, जिसका नाम करीम है वह कूड़े के डिब्बे में आठ से नौ घंटे से छिपा हुआ है, वहीं दूसरा आदमी, जिसका नाम अवतार है वह भी उसी डिब्बे में छिपने के लिए आता है। नाटक में मोड़ तब आता है जब अचानक अवतार भी उसी डिब्बे में छिपता है, जहां पर पहले से ही करीम छिपा हुआ है। पहले तो दोनों एक-दूसरे को देखकर डरते हैं फिर दोनों एक-दूसरे से हिंदू और मुस्लिम होने के बारे में पूछते हैं। नाटक में दर्शाया जाता है कि बातों-बातों में उन्हें समझ में आ जाता है कि उन दोनों की जान खतरे में है और उन्हें ही एक-दूसरे का सहारा बनना है।  दोनों वहां से निकलने की कोशिश करते हैं और एक जगह, जहां उन्हें अलग होना होता है वहां दोनों भावुक होकर एक-दूसरे को गले लगाते है, फिर ‘खुदा हाफिज’ कहते हैं, लेकिन जाते समय करीम कर्फ्यू के दौरान पुलिस की गोलियों से मारा जाता है। नाटक में संदेश दिया जाता है कि जब भी देश में कहीं भी दंगे होते हैं तो इसमें आम आदमी हमेशा ही पिस्ता है।  नाटक में करीम की भूमिका राजीव शर्मा, अवतार की भूमिका हितेश भार्गव, यूजिक में हितेश भागड़ा, लाइट्स-मेकअप में रूपेश बाली व सेट एंड कोस्टयूम में प्रीतम भारद्वाज का रोल अहम रहा। वहीं नाटक के निर्देशक हितेश भार्गव हैं।


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