डेंटोटसू से रूट बोरर का सफाया

By: Feb 1st, 2017 12:05 am

पतलीकूहल – सुमीटोमों केमिकल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने सेब के पौधों व अन्य फलदार पौधों में पाए जाने वाले रूट बोरर (जड़ छेदक कीट) व मिट्टी में होने वाले कई प्रकार के कीटों के सफाए के लिए डेंटोटसू नामक दवाई को बाजार में उतारा है। जापान से आयोजित इस दवाई से अब बागबानों को बागानों में मिट्टी में पाए जाने हानिकारक कीटों से निजात मिलेगी। कुल्लू में तैनात कंपनी के क्षेत्रीय मैनेजर डा. नीरज चौहान ने बताया कि जापान से आयात की जाने डेंटोटसू उत्पाद में क्लोथीयानीदीन 50% डब्ल्यूडीजी   केमिकल है, जो ग्रीन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इससे मिट्टी की उर्वरता पर कोई असर नहीं पड़ता है। उन्होंने बताया की यह उत्पाद पूर्ण रूप से जड़ छेदक कीटों से सुरक्षा प्रदान करता है। क्योंकि यह अंतरप्रवाही कीटनाशक है, जो पौधों के सिस्टम में जाकर अंडों, लारवा स्टेज में ही कीटों को पनपने से रोकता है। डा. नीरज चौहान ने बताया कि गत वर्ष कुल्लू घाटी के कई क्षेत्रों में कंपनी ने बागबानों के बागानों में ट्रायल लगाए और उसके बाद बागबानों ने इस उत्पाद की जड़ छेदक कीट को मारने की क्षमता का प्रभाव देखा है, जिससे लोग आज इस उत्पाद की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक ग्राम दवाई को दो लीटर पानी में डालकर बड़े पौधों में 10 से 15 लीटर दवाई के घोल से ड्रेंचिंग करें। उन्होंने कहा कि यदि पौधों में जड़ सड़न की शिकायत हो तो बागबान एंटीबायोटिक वैलेडामाइसिन दवाई को दो एमएल पर लीटर के साथ डेंटोटसू दवाई के साथ मिलाकर डे्रचिंग कर सकते हैं। रूट बोरर का खातमा करने वाली इस दवाई को मार्च-अप्रैल व अगस्त सितंबर के महीनों में बागबान इसकी प्रयोग कर सकता है। डा. नीरज चौहान ने बताया कि बागबानों को दिए गए ट्रायल से बागबान संतुष्ट हैं और रूट बोरर पर इसका प्रभाव देखा गया है। डेंटोटसू के प्रयोग से मिट्टी में होने वाले सभी कीटों को मार गिराता है और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं छोड़ता है।  क्योंकि यह उत्पाद ग्रीन टेक्नोलॉजी पर आधारित है।

 


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