नजरबंदी या सुरक्षा-कवच !

By: Feb 4th, 2017 12:02 am

आज चुनाव और बजट से अलग उस मुद्दे का विश्लेषण करेंगे, जो आतंकवाद और हमारी हिफाजत से जुड़ा है। बीते दिनों अचानक खबर आई कि लश्कर-ए-तोएबा और जमात-उद-दावा सरीखे आतंकी गुटों के संस्थापक सरगना हाफिज सईद को लाहौर में एक मस्जिद में नजरबंद किया गया है। तुरंत व्याख्याएं शुरू हो गईं कि अमरीकी राष्ट्रपति टं्रप ने संकेत दिए थे कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर भी पाबंदियां चस्पां की जा सकती हैं, नतीजतन दबाव में पाकिस्तान की नवाज शरीफ हुकूमत को यह ड्रामा खेलना पड़ा। यह ड्रामा अब हकीकत में तबदील होता लग रहा है, क्योंकि पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक डा. शाहिद मसूद ने खुलासा किया है कि हाफिज को नजरबंद नहीं, महफूज रखा गया है और उसकी सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। कारण, अफगानिस्तान के आतंकी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और पंजाब, सिंध में उसके कुछ स्लीपर सैलों ने हाफिज पर हमले की साजिश तैयार की है। मसूद का दावा है कि हाफिज की जान खतरे में है, लिहाजा उसे अब उसके ही घर में ‘सुरक्षित’ रखा गया है। यह पंजाब प्रांत और फौज की भी रपटें हैं, जो उन्होंने आतंकियों की बातें इंटरसेप्ट करने के आधार पर तैयार की थीं। बहरहाल यह दो आतंकियों और कट्टरपंथियों की आपसी दुश्मनी का मामला है, लेकिन राष्ट्रपति टं्रप की सोच और प्रतिबद्धता से जो वाकिफ हैं, वे जानते हैं कि अमरीका ने भी तय कर रखा है कि पाकिस्तान एक ‘आतंकी राष्ट्र’ है। यह दीगर है कि टं्रप ने उसे सीरिया, सोमालिया, सूडान, यमन, ईरान, इराक, लीबिया-प्रतिबंधित देशों की सूची में नहीं रखा। हाफिज पाकपरस्त आतंकवाद का सरगना और 26/11 मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है, जिसमें 166 मासूम लोगों की हत्या कर दी गई थी। उसमें अमरीकी नागरिक भी शामिल थे। अब कुछ अरसे से हाफिज हमारे कश्मीर के सुकून को छीनने और आतंकी हरकतों में शुमार था। उसने प्रधानमंत्री मोदी और हमारी सेना के खिलाफ जेहाद का भी आह्वान किया था। हालांकि भारत सरकार ने पाक हुकूमत को जो डोजियर सौंपे थे, उनमें हाफिज के खिलाफ कई सबूत दिए गए थे, लेकिन नवाज शरीफ हुकूमत ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? उसे अदालत के जरिए जेल की सलाखों के पीछे बंद क्यों नहीं कराया गया? बदले में अब पाक विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने हम पर ही अंगुली उठाई है कि भारत पाकिस्तान में चरमपंथी गतिविधियों में शामिल रहा है। भारत सरकार ने दो टूक कहा है कि जरूरी सबूत पाकिस्तान के पास ही हैं। अब कार्रवाई के लिए जरूरी इच्छाशक्ति की दरकार है। भारत को आतंकवाद पर अंकुश लगाने के पाकिस्तान के दावों से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि यह अहम है कि उसने जमीनी स्तर पर क्या किया है। पीएमओ में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने तो पाकिस्तान को ‘आतंकवाद का अड्डा’ करार दिया है। वाकई वह मानवाधिकारों के उल्लंघन का हब है। और अब नजरबंदी का ड्रामा क्यों खेला जा रहा है? हाफिज ऐसा आतंकी है, जिस पर अमरीका ने एक करोड़ डालर का इनाम घोषित कर रखा है और संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर-ए-तोएबा को प्रतिबंधित आतंकी गुट की सूची में डाल रखा है। जमात-उद-दावा को भी आतंकी संगठन माना गया है। इस संदर्भ में पाकिस्तान की हुकूमती पार्टी के ही एक सांसद ने संसद में सवाल किया था-‘यह हाफिज सईद कौन से अंडे देता है?’ सिर्फ यही नहीं, पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश ने भी टिप्पणी की थी कि हरेक सियासी दल आतंकियों और आतंकी गुटों को शह और शरण देता रहा है। पाक हुकूमत का इन कथनों पर क्या जवाब है? हैरत की बात है कि हाफिज ने नजरबंदी में ही एक सनसनीखेज वीडियो रिकार्ड कर लिया है। ऐसा कैसे हुआ? तय है कि उस सरगना को हुकूमत की पूरी मदद मिल रही है। अब हाफिज मोदी-टं्रप की नई दोस्ती को तोहमत दे रहा है। बहरहाल आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई जरूर होनी चाहिए। कुवैत ने जिन पांच इस्लामिक देशों पर पाबंदी लगाई है, उनमें पाकिस्तान भी है। निश्चित तौर पर कोई अहम वजह तो रही होगी कि कुवैत सरीखे देश ने पाक नागरिकों को अपने देश में आने से मनाही कर दी है। पाकिस्तान को भी आतंकवाद के तमाम लबादे उतारने होंगे और हाफिज जैसों को जेल में ठूंसना होगा।


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