मैदान से बिगड़ेगा नशा माफिया का खेल

By: Feb 16th, 2017 12:02 am

( किशन चंद चौधरी लेखक, बड़ोह, कांगड़ा से हैं )

हम युवाओं को मादक पदार्थों से दूर रख पाए, तो वे सामाजिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे पाएंगे। यदि युवा नशे का शिकार हो गए, तो व्यक्तिगत नुकसान के अलावा राष्ट्रीय विकास में भी उनका योगदान शून्य हो जाता है। युवाओं को नशे से दूर रखकर खेलों के प्रति प्रेरित करके एक सुदृढ़ समाज की नींव रखी जा सकती है…

स्वामी विवेकानंद जी का मानना था कि किसी भी देश का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर होता है। इसी महत्त्व को समझते हुए युवाओं को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि युवाओं की ऊर्जा का राष्ट्र निर्माण तथा सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन की दिशा में सकारात्मक उपयोग किया जा सके। युवा ऊर्जा को सही दिशा देने से युवाओं को सामाजिक कुरीतियों जैसे मादक द्रव्यों के व्यसन, निराशा तथा अकेलेपन की आदतों से दूर रखकर उनमें आत्मसम्मान की भावनाको बढ़ाया जा सकता है। आज जबकि प्रदेश में पढ़े-लिखे युवाओं की भी नशे के कारोबार में संलिप्तता उजागर होने लगी है, उसके बाद इस दिशा में हमें गंभीरता से विचार करना होगा। यह दीगर है कि नशा इनसान को शारीरिक एवं मानसिक तौर पर कमजोर बना देता है। यदि हम युवाओं को मादक पदार्थों से दूर रख पाए, तो वे सामाजिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे पाएंगे। इसके विपरीत यदि युवा नशे का शिकार हो गए, तो व्यक्तिगत नुकसान के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास में भी उनका योगदान शून्य हो जाता है। यहां तक कि कई बार यही युवा समाज के लिए मुसीबत बनकर कई तरह के अपराध को अंजाम देने से भी नहीं हिचकते। इन हालात में समाज से नशाखोरी की प्रवृत्ति को खत्म करने की जरूरत और भी बढ़ जाती है।

नशे की समस्या ने आज दुनिया भर में विकराल रूप धारण किया है। यदि अमरीका के नए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अमरीका-मैक्सिको की सीमा पर दीवार खड़ी करने का निर्णय लिया था, तो इसके पीछे की चिंता भी यही थी कि मैक्सिको से मादक पदार्थों की आपूर्ति ने यहां के युवाओं को नशे का आदी बना दिया था। गुजरात में पूर्ण शराबबंदी के बाद अब बिहार में भी शराबबंदी का साहसिक निर्णय लिया गया, तो इसकी नौबत तभी आई, जब नशाखोरी से अपराध भयावह रूप धारण कर चुका था। यानी देश-दुनिया से लेकर देवभूमि पर इस कुप्रवृत्ति का असर साफ देखा जा सकता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव युवाओं पर पड़ा है। समाज को नशामुक्त बनाने तथा युवाओं को इस प्रवृत्ति से दूर रखने के लिए हर व्यक्ति हर परिवार चिंतित है। नशे की प्रवृत्ति को जड़ से उखाड़ने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने आमजन, जिला प्रशासन, स्वयंसेवी संगठनों, छात्रों के सहयोग से एक अभियान कार्यान्वित किया है। सरकार के ये कदम सराहनीय हैं। युवाओं को नशे से दूर रखकर खेलों के प्रति प्रेरित करके एक सुदृढ़ समाज की नींव रखी जा सकती है। सरकार का यह कदम भी प्रशंसनीय है कि वह युवाओं को खेलों के लिए बढ़ावा देने के उद्देश्य से हरसंभव प्रयास कर रही है।

खेल अधोसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष प्रदेश में बहु-उद्देश्यीय अंतरंग खेल परिसरों, खेल मैदानों व अन्य ढांचागत सुविधाओं के निर्माण के लिए करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में युवा गतिविधियों को बल देने के लिए युवा क्लबों के वार्षिक अनुदान को 10,000 से बढ़ाकर 20,000 रुपए कर दिया गया है। राज्य में युवा सेवाओं के सशक्तिकरण के लिए नोडल युवा क्लबों का सुदृढ़ीकरण किया गया है। प्रदेश में युवा गतिविधियों एवं खेलों को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष प्रदेश के विभिन्न खेल संघों को मिलने वाली अनुदान राशि में समुचित बढ़ोतरी की गई है। युवा पीढ़ी को खुद भी समझना होगा, ‘खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है। जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ते रहने की लगन का। युवाओं को परिवर्तन की मुख्य धारा में लाना होगा। परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है, जिसे जितनी जल्दी युवा वर्ग स्वीकार करें, उतना ही है उनके लिए लाभप्रद रहेगा।’ युवा वर्ग को इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए अपने जीवन को बदलना होगा। विभिन्न प्रकार की खेल गतिविधियों से युवाओं में नेतृत्व, टीम भावना व सहनशीलता की भावना पैदा होती है, जो कि युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद जरूरी है। इसके कारण युवाओं के भविष्य के साथ-साथ समाज का भी विकास संभव है।

ऐसे कालेज जहां खेलकूद का समय युवाओं को नहीं मिल पाता, वहां खेलकूद व शारीरिक शिक्षा संबंधित जानकारी व प्रशिक्षण शैक्षणिक समय के बाद दिया जाए। इससे खेल प्रतिभाओं को तलाशने में मदद मिलेगी तथा प्रतिभाशाली युवा अपनी योग्यता का परिचय दे सकते हैं। खेलों में उम्दा प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों को प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों के लिए तीन प्रतिशत आरक्षण कोटे से कारगर ढंग से भरे जाएं। उसी तर्ज पर प्राइवेट संस्थानों में निर्धारित कोटा अनिवार्य रूप से भरे जाने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाने चाहिएं। युवाओं को खेलों के साथ-साथ उनके जीवन में अच्छे संस्कारों का भी उतना ही महत्त्व है। युवाओं को खेलों के साथ-साथ विरासत में नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में अपनाकर एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहिए, जो सारे संसार के लिए मिसाल बने। प्रदेश सरकार को भी चाहिए कि प्रदेश के युवाओं को नशे से दूर रखने और खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए खेल बजट को बढ़ाए।


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