रेगुलर कर्मचारियों की तर्ज पर दिए जाएं भत्ते

By: Feb 27th, 2017 12:05 am

करसोग  – प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ करसोग इकाई के अध्यक्ष जोगिंद्र शर्मा, प्रदेश संयुक्त सचिव मोती राम चौहान, महासचिव चमन लाल ने लिखित जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान 18 हजार रुपए निर्धारित किया गया है, जिसका करसोग इकाई भरपूर विरोध करती है और केंद्र सरकार व पंजाब सरकार से आग्रह करती है कि कर्मचारियों का न्यूनतम वेतनमान 25 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह किया जाए और सेवा काल में तीन पदोन्नतियां तय की जाएं या आर्थिक लाभ दिए जाएं। साथ ही कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति देशभर में एक समान 60 वर्ष की जाए और सेवा अवधि 33 वर्ष की जाए। प्रदेश में कर्मचारियों को 4-9-14 की वेतन वृद्धि या सेवा काल में तीन बार देने से पदोन्नति पर 4-9-14 का अतिरिक्त लाभ न मिलने से कर्मियों का आर्थिक नुकसान हो रहा है, वहीं पर पहली जनवरी, 2006 के नए वेतन मान नहीं मिलने व पंजाब द्वारा बेसिक व ग्रेड-पे की गई वृद्धि का लाभ नहीं मिलने से कनिष्ठ व वरिष्ठ कर्मचारियों के वेतन में असमानता से वरिष्ठ कर्मचारियों का दो-तीन हजार रुपए का नुकसान प्रतिमाह हो रहा है। इसलिए वेतनमान की खामी को दूर किया जाए। प्रदेश में कर्मचारियों के भत्तों में संशोधन की आवश्यकता है। प्रदेश के समस्त कर्मचारियों को समान भत्ते दिए जाएंं। दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के भत्तों में 10-20 फीसदी बढ़ोतरी की जानी चाहिए, क्योंकि वहां पर कर्मचारी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भी लोगों तक सरकार की विभिन्न योजनाओं को पहुंचाने मंे तत्पर रहता है। जहां पर की कर्मचारी को समय पर बस सुविधा, अच्छे स्कूलों एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार और खाने -पीने के लिए स्थानीय उपज पर ही निर्भर रहना पड़ता है मीलों पैदल सफर कर लोगों तक सरकारी योजनाएं पहुंचानी पड़ती हंै। ऐसे में प्रदेश के अनुबंध कर्मचारी 7810 रुपए में कैसे परिवार का पालन-पोषण करेगा। जहां रहने के लिए आवास सुविधा भी मुश्किल से मिल पाती है। इसलिए प्रदेश में आउटसोर्स, ठेका पर कर्मचारियों की नियुक्ति तुरंत बंद कर नियमित कर्मचारियों के पद भरे जाएं। लोक निर्माण विभाग, सिंचाई एवं जन-स्वास्थ्य विभाग जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग बिना मजदूर के कार्य को अंजाम नहीं दे पाएंगे, क्योंकि यहां पर अधिकतर कार्य ठेकेदारों के द्वारा करवाए जा रहे हैं, जिन पर गुणवता व समय पर कार्य नहीं होने का आरोप-प्रत्यारोप लगने से कार्य प्रभावित होते रहते हैं। इसलिए इन विभागों के मजदूरों की नियुक्तियां वर्ष 1985 से पूर्व की तरह की जानी चाहिए। करसोग क्षेत्र को दुर्गम क्षेत्र घोषित किया जाए। करसोग क्षेत्र में कर्मचारियों के रिक्त पड़े पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए और पदों को भरने के लिए उपमंडल, विधानसभा पर रिक्त पदों के आधार पर उपमंडल स्तर के बेरोजगारों को अवसर दिया जाना चाहिए।

 

 


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