वेलेनटाइन डे !

By: Feb 14th, 2017 12:01 am

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

अपनी संस्कृति भेदकर, घुसा नया त्योहार,

भूले करवाचौथ को, करें प्रेम इजहार।

भारतीय संस्कृति चली, आज बेचने तेल,

अब किशोर-अवयस्क ही, खेल रहे यह खेल।

हैं स्वच्छंद-स्वतंत्र वो, उच्छृंखल-उद्दंड।

किसकी इतनी हिम्मत, दे सकें उन्हें दंड।

राजा हैं स्कूल के, फैला उनका राज,

शिक्षक, पापा गली सब, झुककर करें लिहाज।

रेव पार्टी चल रही, सुट्टे का है रंग,

लेग-पेग, झप्पी पड़ी, सखा-सखी के संग।

अगणित प्यार-मोहब्बतें, आवश्यक हैं आज,

बालक हो या बालिका, अब यह बना रिवाज।

ऐसा जादू चल गया, मच गए मदहोश,

न है इसमें मेरी खता, न ही तेरा दोष।

नैतिक मूल्य कहां लुटे, कामुकता है भरपूर,

अनुशासन-संयम सब गया, हुए नशे में चूर।

तांडव करती वासना, समझ रहे वो प्यार,

आएगा जब होश, तब भूलेंगे इजहार।

 


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