शिवरात्रि संध्याओं को तीन सौ तलबगार

By: Feb 21st, 2017 12:08 am

मंडी —  अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की सांस्कृतिक संध्याओं में कार्यक्रम पेश करने के लिए इस बार 300 तलबगार हो गए हैं। जिला भर से 300 के लगभग गायकों ने शिवरात्रि महोत्सव के ऑडिशन में भाग लेकर प्रशासन से मंच पर जगह की मांग की है। हालांकि इस बार पिछले कई वर्षों के मुकाबले सबसे कम प्रतिभागी ऑडिशन में आए हैं। इससे पहले के वर्षों में यह आंकड़ा हमेशा 500 के आसपास रहता रहा है। इस बार मंडी सदर के युवा प्रतिभागियों को छोड़ कर शेष अन्य सभी उपमंडलों से कम संख्या में युवाओं ने शिवरात्रि महोत्सव की सांस्कृतिक संध्याओं के मंच पर आने की इच्छा जताई है। इस बार मंडी सदर से सबसे अधिक 155 के लगभग युवाओं ने ऑडिशन में भाग लिया है, जबकि बल्ह उपमंडल से 22, सुंदरनगर और करसोग उपमंडल से 47, पद्धर, गोहर व जंजैहली क्षेत्र से 43 और जोगिंद्रनगर धर्मपुर व सरकाघाट क्षेत्र से 25 प्रतिभागियों ने स्वर परीक्षा दी है। स्वर परीक्षा के बाद प्रशासन प्रतिभागियों की मैरिट लिस्ट बनाने में लगा हुआ है। मैरिट के आधार पर हर उपमंडल से कुल प्रतिभागियों की संख्या को आधार मानते हुए प्रतिभागियों को शिवरात्रि महोत्सव के मंच पर जगह मिलेगी, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की छह सांस्कृतिक संध्याओं में चयनित प्रतिभागियों को  प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। सांस्कृतिक संध्याओं के लिए मंडी जिला के कलाकारों का चयन स्वर परीक्षा से किया जाता है। वहीं, सांस्कृतिक कार्यक्रम उपसमिति के संयोजक एवं अतिरिक्त उपायुक्त हरिकेष मीणा ने बताया कि अब स्वर परीक्षा पूरी हो गई है। नियमों के तहत ज्यादा से ज्यादा स्थानीय कलाकारों को शिवरात्रि महोत्सव के मंच पर आने का मौका दिया जाएगा।

स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता दो को

मंडी — अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के उपलक्ष्य में दो मार्च को सुबह 10 बजे पड्डल मैदान में स्वस्थ्य शिशु प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा । यह जानकारी उपायुक्त एवं अध्यक्ष शिवरात्रि महोत्सव आयोजन समिति संदीप कदम ने दी।  उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता के प्रथम वर्ग में एक से दो वर्ष, द्वितीय वर्ग में दो से तीन वर्ष तथा तृतीय वर्ग में तीन से चार वर्ष तक के शिशु भाग ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता के हर वर्ग के प्रथम विजेता को एक हजार, द्वितीय विजेता को सात सौ तथा तृतीय विजेता को पांच सौ रुपए के नकद पुरस्कार दिए जाएंगे ।  उन्होंने बताया कि स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए माताएं अपने साथ प्रतिरक्षण कार्ड साथ लाएं । उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बच्चों का पंजीकरण 28 फरवरी तक जिला रेडक्रॉस सोसायटी, मंडी के कार्यालय में किया जाएगा। पंजीकरण शुल्क एक सौ रुपए होगा ।

क्या इस बार भी उपेक्षित होंगे देवता-देवलु!

newsचैलचौक  —  छोटी काशी मंडी महाशिवरात्रि महोत्सव के लिए सजने लगी है। हर बार की तरह मेले की शोभा बढ़ाने के लिए जनपद के कोने-कोने से देवलु देवरथों के साथ मंडी की ओर निकल चुके हैं। शहर की गलियों-कूचों, सड़कों और चैराहों को सजाया-संवारा जा रहा है। आयोजकों का दावा है कि इस शिवरात्रि मेले में कई भव्य आयोजन होंगे, ताकि आगंतुक मेले का लुत्फ उठा सकें। मेले से पहले ग्राउंड बेचकर करोड़ों रुपए कमा चुके आयोजकों के पास देव समागम को लेकर कोई विशेष उत्साह नहीं है। मेला आयोजन समिति के कारिंदे जलेब में पहनी जाने वाली पगडि़यों को लेकर चिंतित हैं। कथित स्वयंभू सर्व देवता समिति भी आयोजकों की हां में हां मिलाने में व्यस्त है। देवताओं के प्रति प्रशासन का नकारात्मक रुख अभी भी बरकरार है। आयोजकों ने फरमान जारी कर दिया कि मेले में आने वाले पंजीकृत देवता के देवलुओं को कैशलैस सिस्टम से राशन मिलेगा। देवलु जब मेले में पहुंचेंगे, तो उन्हें इस व्यवस्था से रू-ब-रू होना पड़ेगा। पंजीकृत देवताओं के दो बजंतरियों से दो फोटो और पहचान पत्र मंगवाए गए हैं। प्रशासन हो चाहे आम आदमी, कौन नहीं जानता कि मंडी महाशिवरात्रि महोत्सव में आने वाले छोटी काशी के देवताओं के साथ करीब दस से अधिक बजंतरी होते हैं, जबकि इस बार मेला आयोजकों ने पंजीकृत देवताओं की हर कमेटी या मुखियाओं को मात्र दो बजंतरियों से दस्तावेज मंगवाने का फरमान जारी किया है । आयोजक इस व्यवस्था पर भले ही चुपी साधे हों, मगर देवताओं के देवलुओं और बजंतरियों के प्रति व्यवहार सराहनीय नहीं है।

मीलों सफर कर पहुंचते हैं मंडी

हजारों देवलु अपना काम-धाम छोड़कर देवता के साथ हवा, पानी बारिश के थपेड़े सहते हुए एक से डेढ़ महीने की लंबी यात्रा पर निकल पड़े हैं, जो पड्डल मैदान पर थमेगी। सराज क्षेत्र के देवता मगरू महादेव छतरी, देव शयाटी नाग डाहर, छांजणू-छमाहू, बिट्ठू नरायण, ब्रह्मदेव तुंगासी, चुंजवाला, मार्कंडेय ऋषि, बायला नरायण और देवी जालपा मेला स्थल के लिए 15 से 20 दिन पहले निकल चुके हैं और रास्ते में पड़ाव किए हुए हैं। चौहार के घाटी के आराध्य आदी बह्मा, पराशर ऋषि भी मीलों का सफर कर मेले की शोभा बढ़ाते हैं। मगरू महादेव 160 किलोमीटर छतरी से, देव शयाटी नाग डाहर लगभग 120 किलोमीटर दूर थाटा डाहर से, 100 किलोमीटर दूर जंजैहली से बायला नरायण, बह्म देव तुंगासी 100 किलोमीटर दूर लंबाथाच पंचायत से और चौहार घाटी के देवता भी नदी-नालों, चोटियों को लांघते हुए मीलों की दूरी तय करते हैं।

अढ़ाई सौ साल बाद भी तिरस्कार

करीब अढ़ाई सौ साल पहले मंडी रियासत के राजा ने राधा-कृष्ण की चांदी की प्रतिमाएं बनाकर माधोराय नामक देवता गढ़ा और रियासत के सभी देवताओं को राज परिवार की खुशी में शामिल होने के लिए बुलावा भेजा। राजा के आदेश से देवता आए और आज तक उस आदेश की पालना कर रहे हैं। राज बदला तो नए शासकों ने बागडोर संभाली और देवताओं का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करने लगे और देवताओं की जलेब को ही हाईजैक करने लगे। देवता कहां रहेंगे, देवलु क्या खाएंगे और कहां सोएंगे यह शासकों की चाकरी में जुटे नौकरशाहों को याद भी नहीं रहता। उन्हें सराय स्कूलों और दमदमा पैलेस की कोठरियों में रातें गुजारनी पड़ती हैं, खाने के लिए भी नौकरशाहों का मुंह ताकना पड़ता है। महीने तक ढोल-नगाड़े लटकाए बजंतरियों को उचित नजराना नहीं मिलता। तरसा-तरसा कर सरकार द्वारा एक-दो फीसदी नजराना बढ़ाया जाता है। कहने को तो सांस्कृतिक राजधानी है, लेकिन पिछले कई दशकों से मंडी में देव सदन का निर्माण भी नहीं हो पाया है। अढ़ाई सौ सालों से इतना तिरस्कार और अपमान देवता ही सहन कर सकते हैं। घटती जा रही महिला देवलुओं की तादाद पिछले एक दशक में महिला देवलुओं की संख्या में भारी गिरावट आई है। पहले महिलाएं भी अपने  देवरथों के साथ पारंपरिक वेशभूषा में आती थीं, लेकिन महिला देवलुओं के लिए कोई अतिरिक्त इंतजाम न होने से उनकी तादाद न के बराबर रह गई है। मेले के आयोजकों ने भी इस ओर गौर नहीं फरमाया।


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