हिमाचल सरकार ने लगाई एनजीटी के फैसले पर मुहर
शिमला — नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उस बड़े फैसले पर हिमाचल ने भी मुहर लगा दी है, जिसके तहत पक्षीघाती मांझा पर पहले एनजीटी द्वारा रोक लगाई गई थी। यह आदेश एनजीटी 14 दिसंबर को जारी किए गए थे। अब हिमाचल सरकार द्वारा इस बारे में अधिसूचना जारी की गई है। लिहाजा कोई भी व्यक्ति यदि पतंग की पक्षीघाती डोर का भंडारण करने के साथ-साथ इसका प्रयोग करेगा, तो उसके खिलाफ दंडनीय कार्रवाई होगी। हर साल सैकड़ों पक्षी कांच लगी उस तीखी डोर से मारे जाते हैं, जो पतंग उड़ाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। हिमाचल में मौसम खुशगवार होते ही पूरे प्रदेश में पतंग उड़ाने का शौक काफी पुराना है, मगर इस शौक के चलते बहुत सारे पक्षी डोर में फंसने के कारण मौत का ग्रास बन जाते हैं। अब हिमाचल में भी यह प्रतिबंध जारी होगा। पीपल फार दि एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (पेटा) इंडिया द्वारा इस बाबत एनजीटी में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें इस डोर पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। याचिका की सुनवाई पिछले वर्ष 14 दिसंबर को एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षतायुक्त बैंच ने मांझा के उत्पादन, बिक्री, भंडारण व प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रतिबंध से पक्षियों व लोगों का जीवन बच सकेगा।
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