है अमूल्य मतदान
( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )
है अमूल्य निधि वोट यह, इसका लगे न मोल,
तुच्छ भेंट, कुछ लाभ पर, इसको कभी न तोल।
लालच बहुत बुरी बला, इससे रहना दूर,
पल में इज्जत-आबरू, होगी चकनाचूर।
मुर्गा, बोतल बंट रही, मत ले भिक्षा, दान,
खोटा सिक्का मत चला, करके मदिरा पान।
बिक मत जाना मित्र तुम, होना मत नीलाम,
लोभ दे रहा है तुम्हें, सड़ा हुआ है आम।
गर्व करें हम स्वयं पर, ग्रहण करें क्यों भीख,
दो पैसे पर क्यों लुटें, लोकतंत्र की सीख,
है अमूल्य धन तंत्र का, लोकतंत्र का सार,
निर्धन क्या, धनवान क्या, है समान अधिकार।
जाति, धर्म और वर्ण के, नाम न मांगें वोट,
यदि कोई ऐसा करे, शासन देगा चोट।
जागरूक, निष्पक्ष बन, सर्वोत्तम ले छांट,
आगे बढ़ ईमान से, त्यागो हिस्सा बांट।
ठोक-बजाकर लो परख, दो सुयोग्य को वोट,
पांच वर्ष गठजोड़ है, उल्टी पड़े न चोट।
तृष्णा में यदि तू घिरा, गया मान-सम्मान,
आंधी हो तूफान हो, कर अवश्य मतदान।
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