अच्‍छे अवसरों का अध्‍यापन

By: Mar 1st, 2017 12:08 am

अपने देश में शिक्षा देना प्राचीनकाल से बेहद सम्मानजनक पेशा रहा है। वक्त के अनुसार इसके स्वरूप में बदलाव जरूर आया है। बदलते सामाजिक, आर्थिक समीकरणों और व्यापक होती सोच के बीच शिक्षकों की भूमिका भी व्यापक हुई है। एक टीचर बन आप न सिर्फ  अपना भविष्य संवार सकते हैं बल्कि शोहरत, सम्मान के साथ राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में भी योगदान दे सकते हैं…

अच्‍छे अवसरों का अध्‍यापनअच्‍छे अवसरों का अध्‍यापनएजुकेशन एक ऐसा सेक्टर है, जिसमें सबसे ज्यादा ग्रोथ हो रहा है। इस क्षेत्र में कभी मंदी नहीं आती है। भारत में प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। शिक्षा और शिक्षक का नाता बहुत गहरा और पुराना है। किसी भी स्टूडेंट के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। अपने देश में शिक्षा देना प्राचीनकाल से बेहद सम्मानजनक पेशा रहा है।  वक्त के अनुसार इसके स्वरूप में बदलाव जरूर आया है। बदलते सामाजिक, आर्थिक समीकरणों और व्यापक होती सोच के बीच शिक्षकों की भूमिका भी व्यापक हुई है। एक टीचर बन आप न सिर्फ  अपना भविष्य संवार सकते हैं बल्कि शोहरत, सम्मान के साथ राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में भी योगदान दे सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के कई देशों द्वारा पूर्ण शिक्षण दर हासिल करने की राह में शिक्षकों की कमी एक बड़ी रुकावट है।  अनुमान के अनुसार पूर्ण शिक्षा का लक्ष्य हासिल करने के लिए दुनिया भर में 17 लाख शिक्षकों के पद सृजित होंगे। भारत में भी शिक्षण के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। हर वर्ष इसमें 15 प्रतिशत की दर से विकास हो रहा है। देश में प्री- स्कूल का क्षेत्र साढ़े 4 करोड़ के आसपास है जिसके अगले दो वर्षों तक लगभग 13 हजार करोड़ को पार कर जाने का अनुमान है । वोकेशनल ट्रेनिंग का बाजार भी 12.17 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।

कई तरह के पाठ्यक्रम मौजूद

टीचिंग के लिए कई ऐसे पाठ्यक्रम हैं, जिनमें पढ़ाई करने के बाद शिक्षक बनने का सपना पूरा हो पाता है। ये पाठ्यक्रम स्नातक व परास्नातक, दोनों ही स्तरों पर संचालित किए जाते हैं।

बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड)

इस पाठ्यक्रम में प्रवेश ग्रेजुएशन तथा प्रवेश परीक्षा के आधार  पर दिया जाता है । राज्य स्तरीय सयुंक्त प्रवेश परीक्षाओं के अलावा कई संस्थान जैसे इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ आदि भी स्वतंत्र रूप से बीएड पाठ्यक्रम संचालित करते हैं और प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हंै ।  पाठ्यक्रम में शिक्षा मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, शिक्षा का इतिहास शिक्षण साधन और पर्यावरण आदि को शामिल किया जाता है। कोर्स के पश्चात कुछ दिनों का प्रशिक्षण भी दिया जाता है । सफलतापूर्वक कोर्स करने के पश्चात प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं परिषदीय विद्यालयों में अध्यापन की योग्यता मिलती है।

बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट)

बीटीसी दो साल का डिप्लोमा पाठ्यक्रम होता है। यह प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर तक के युवाओं के अध्यापन के लिए होता है।

इस पाठ्यक्रम में तभी प्रवेश मिल पाता है, जब प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की जाए। इसके लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। आयु 18 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन (डीपीई)

इस 2 वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश 12वीं कक्षा में 50 प्रतिशत अंको के आधार पर मिलता है। इसमें पाठ्यक्रम में छात्रों को शारीरिक संरचना, समस्या एवं निवारण आदि का ज्ञान कराया जाता है। साथ ही उन्हें इंडोर व आउटडोर गेम्स  तथा योग आदि का अभ्यास कराया जाता है। पाठ्यक्रम की समाप्ति पर विभिन्न स्कूलों में पीटीआई या गेम्ज टीचर के रूप में नियुक्ति मिलती है।

बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन(बीपी.एड)

यह दो तरह का होता है। फिजिकल एजुकेशन विषय ग्रेजुएट छात्र एक वर्षीय बीपी.एड कोर्स कर सकते हैं जबकि फिजिकल एजुकेशन सहित 12वीं करने वाले छात्र 3 वर्षीय कोर्स कर सकते हैं। पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए लिखित परीक्षा, फिजिकल फिटनेस टेस्ट, क्षेत्र क्षमता परीक्षा और साक्षात्कार का सामना करना पड़ता है।

नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी)

इस 2 वर्षीय पाठ्यक्रम में कुछ संस्थान 12वीं के अंकों के आधार पर, तो कुछ प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश देते हैं। कोर्स के पश्चात नगर निगम अथवा नर्सरी स्कूलों में प्रवेश मिल सकता है।

सीटीईटी तथा टीईटी

इन दिनों शिक्षक बनने के लिए केवल डिग्री या कोर्स करना ही काफी नही है। अब कई अहर्ता परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, जिन्हें पास करना अनिवार्य है तभी शिक्षक के लिए आवेदन के हकदार होते हैं। सीबीएसई द्वारा आयोजित सेंट्रल टीचर्ज एलिजिबिलिटी टेस्ट(सीटीईटी) को पास करना केंद्रीय विद्यालय, तिब्बती स्कूलों एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधीन विद्यालयों के शिक्षक बनने के लिए जरूरी है। इसमें उम्मीदवार को 60 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है, जिसमंे स्नातक में 50 फीसदी अंकों के साथ पास करने वाले ही बैठ सकते हैं साथ ही बी.एड होना भी जरूरी है। टीचिंग एलिजिलिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) अधिकतर राज्यों में मान्य नही होता, जो अपने स्तर पर ऐसी परीक्षाएं लेते है। कई राज्य टीचिंग एलिजिलिबिलिटी टेस्ट(टीईटी)लेते हैं। इनमंे बैठने के लिए आमतौर पर ग्रेजुएट तथा बीएड होना जरूरी है। गौरतलब है कि टीईटी कुछ तय वर्षों के लिए ही मान्य होता है।

टीजीटी एवं पीजीटी

राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली इन परीक्षाओं में टीजीटी के लिए जहां संबंधित विषय में ग्रेजुएशन तथा बी.एड अनिवार्य है वहीं ंपीजीटी के लिए संबंधित विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन तथा बी.एड आवश्यक है। इसमें स्ट्रीम की कोई बाध्यता नही है। टीजीटी के शिक्षक छठी से लेकर 10वीं के बच्चों को पढ़ाते हैं जबकि पीजीटी के सेकेंडरी एवं सीनियर सेकेंडरी के बच्चों को पढ़ाते हैं।

यूजीसी नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा)

कालेज एवं विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाने वालों को नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करना पड़ता है। साल में 2 बार होने वाली इस परीक्षा का आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी)करता है। इसमें सफल होने के बाद जूनियर फेलोशिप अथवा किसी विश्वविद्यालय में लेक्चरर बनने का सपना पूरा हो सकता है। इसके अंतर्गत कुल 3 पेपर होते हैं, जिन्हें दो सत्रों में संपन्न कराया जाता है। इसे हिंदी या अंग्रेजी में दिया जा सकता है। पहला पेपर जनरल नेचर, दूसरा पेपर चुने गए विषय तथा तीसरा पेपर भी चुने गए विषय से संबधित होता है। सभी पेपर्स के प्रश्न बहुविकल्पीय होते हैं।

संभावनाएं

इस क्षेत्र में रोजगार की व्यापक संभावनाओं  के साथ- साथ उच्च स्तर की प्रतियोगिता भी है। कोर्स एवं अहर्ता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों सहित सेकेंडरी एवं सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में सहायक अध्यापक, लेक्चरर, प्रवक्ता, शिक्षा मित्र एवं अनुदेशक बना जा सकता है। निजी संस्थान अथवा कोचिंग सेंटर भी प्रतिभाशाली लोगों को टीचिंग का मौका देते हैं। पीएचडी के बाद छात्रों को शोध का अवसर भी मिलता है।

कौशल

एक शिक्षक तभी ज्ञान का प्रसार कर सकता है जब वह स्वयं उसमें दक्ष हो। इसलिए निरंतर अध्ययन करने का कौशल एक शिक्षक को सफल बनाता है। उनमे धैर्य, अनुशासन, उच्च स्तर की ऊर्जा तथा अलग हट कर कुछ करने एवं सोचने का कौशल भी होना चाहिए। संप्रेषण कौशल की मदद से वे अपनी बात को अच्छी तरह से अपने छात्रों को समझा सकते हैं।

वेतनमान

शुरुआती दौर में एक शिक्षक के रूप में 25 से 30 हजार प्रतिमाह सैलरी आसानी से मिल जाती है। अनुभव बढ़ने के साथ सैलरी में भी इजाफा होता है। समय-समय पर प्रोमोशन भी मिलता है। चार पांच साल के अनुभव के बाद सैलरी 40 से 50 हजार के करीब मिलती है। उच्च शिक्षण संस्थानों में सैलरी काफी आकर्षक होती है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

*   हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला

*   बीएड कालेज, धर्मशाला ( हिमाचल प्रदेश )

*   हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला

*   कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र

*   जम्मू-कश्मीर यूनिवर्सिटी, श्रीनगर

*   दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

*   अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़

*   बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी

*   पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App