आखिर यह मजदूर का हाथ है…

By: Mar 20th, 2017 12:05 am

नगरोटा बगवां —  पैसे की हौड़ नहीं, बल्कि मजबूरी में घर से चार सौ मील दूर कांगड़ा घाटी की सड़कों किनारे हरियाणा की गाडि़यां विशेष जाति के कई परिवार इन दिनों सुबह से शाम तक पसीना बहाते देखे जा सकते हैं। खेतीबाड़ी, लकड़ी तथा फसल कटाई के औजारों को चुस्त-दुरुस्त बनाने वाले ये विशेष जाति के लोग हरियाणा के जामनगर जिला के जगाधरी, जटनाला, हरदौर व लाडवा आदि के रहने वाले हैं। कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक तथा मशीनरी का प्रयोग बढ़ने से गृह राज्य में अपना पुश्तैनी धंधा चौपट मानकर हिमाचल का रुख करना इनकी मजबूरी है। उनका कहना है कि केवल हिमाचल में ही उनके इस हुनर के इस्तेमाल और रोटी के जुगाड़ की संभावनाएं शेष हैं तथा वे बिलासपुर, ऊना व कांगड़ा आदि क्षेत्रों में प्रतिवर्ष अपने तंबू गाड़ते हैं। पिछले एक डेढ़ दशक से पूरे परिवार सहित छह महीने यहां रोटी कमाने लगातार आते रहे जगाधरी के रोशन लाल अपने गृह क्षेत्र की प्रशासनिक तथा राजनीतिक व्यवस्था से खासे नाराज हैं। उनका कहना है कि नौकरी विहीन व भूमिहीन होने के बावजूद उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से आजतक कोई सहायता उपलब्ध नहीं हो पाई। यहां सुबह छह बजे से देर सायं तक गर्म लोहे को कूटना बेशक उनका खानदानी पेशा रहा हो, लेकिन दर-दर की ठोकरें खाने के बजाय मुख्य धारा में रहकर स्थायी गृहस्थ बसाना उनका भी सपना रहा है। अपने कारोबार में दिन प्रतिदिन जारी मंदी के दौर से अपने तथा अपने परिवार के भविष्य को लेकर चिंता की लकीरें इनके मुखियाओं के चेहरे में साफ देखी जा सकती हैं।


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