आर्ट कालेज बिना कलाकार गुमनाम

By: Mar 31st, 2017 12:01 am

घोषणाओं से आगे नहीं बढ़ पाई सरकारी कवायद; जो था संस्थान, वह भी बंद

चंबा —  प्रदेश में उभरते चित्रकारों की कला निखारकर राष्ट्रीय पहचान दिलवाने की सरकारी कवायद महज घोषणाओं तक सिमटकर रह गई है। प्रदेश में आर्ट कालेज के जरिए शिक्षा-दीक्षा देने को लेकर कोई पहल न होने से कई नामी चित्रकार सरकारी प्रोत्साहन न मिलने के कारण गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1974 के विभाजन के बाद हिमाचल में कला शिक्षण हेतु आर्ट कालेज की स्थापना पहले नाहन में हुई। कुछ साल बाद यह आर्ट कालेज नाहन से तबदील कर शिमला में स्थापित किया गया। कई साल तक आर्ट कालेज में युवाओं ने शिक्षा ग्रहण की, लेकिन किन्हीं कारणों से इसे बंद कर दिया गया और कालेज स्टाफ को शिक्षा विभाग में मर्ज कर दिया गया। धीरे-धीरे ये शिक्षक रिटायर होते गए और कला के क्षेत्र में शून्यता आ गई। कुछ अरसा पहले चंबा-कांगड़ा के सांसद शांता कुमार के समक्ष पद्मश्री चित्रकार विजय शर्मा ने कला कालेज स्थापित कर कलाकारों को हुनर निखारने का मौका देने का सुझाव दिया था। सांसद शांता कुमार ने सकारात्मक सोच पकड़ करते हुए आर्ट कालेज खोलने के मुद्दे को प्रदेश व केंद्र सरकार के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया, मगर बात आगे नहीं बढ़ पाई। हालांकि दो वर्ष पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी शिमला में आर्ट कालेज खोलने की बात कही थी। यह घोषणा अभी तक फाइलों के फेर में ही फंसी हुई है। बहरहाल, हिमाचल में आर्ट कालेज खोलने की कवायद की धीमी रफ्तार से उभरते चित्रकारों को हुनर निखारने के लिए बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ रहा है।

शिमला नहीं, चंबा में खुले महाविद्यालय

पद्मश्री विजय शर्मा का तर्क है कि आर्ट कालेज शिमला की बजाय चंबा में खुलना चाहिए। इसके पीछे तर्क यह भी है कि कला एवं संस्कृति की दृष्टि से चंबा जिला पूरे प्रदेश में सबसे समृद्ध है। यहां की पारंपरिक कलाएं चाहे धातु पत्थर और काष्ठ की मूर्ति शिल्प, चित्रकला या चंबा रूमाल आज भी जीवंत रूप से निर्वात चल रही है।


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