कंपनी नहीं, सरकार की ड्यूटी चाहिए
वोकेशनल टीचर्ज के लिए स्थायी नीति बनाने को आवाज बुलंद
नेरचौक – व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ ने स्थायी नीति बनाने के लिए प्रदेश सरकार से मांग की है। प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में दो हजार वोकेशनल शिक्षक 52 हजार से ज्यादा छात्रों को वोकेशनल ट्रेनिंग दे रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों के लिए प्रदेश सरकार ने कोई नीति तैयार नहीं की है। शिक्षकों का कहना है कि वे प्राइवेट कंपनियों के बजाय सरकार की ड्यूटी बजाना चाहते हैं, ताकि प्राइवेट कंपनियों को जाने वाला भारी भरकम कमीशन बचे और इसका उन्हें और सरकार को फायदा मिल सके। व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ के राज्य अध्यक्ष साहिल ठाकुर ने कहा कि पिछले चार साल से प्रदेश भर में करीब दो हजार वोकेशनल शिक्षक सरकारी स्कूलों में कुशल भारत-कुशल प्रदेश के निर्माण में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन वोकेशनल शिक्षकों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। साहिल ठाकुर का कहना है कि वोकेशनल शिक्षकों को बहुत ही कम वेतन मिल रहा है और पिछले चार महीनों से तो वोकेशनल शिक्षकों को वेतन तक नहीं मिला है और ऊपर से कई अन्य लाभ हैं, जो उन्हें नहीं दिए जा रहे हैं। संघ के कुछ सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि हर समय निकाले जाने की तलवार हमेशा उनके ऊपर लटकी रहती है। यहां तक कि उन्हें यूनियन न बनाने की भी चेतावनियां भी मिलती रही हैं। वोकेशनल शिक्षकों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ प्रदेश सरकार से उन्हें कंपनी प्रथा से मुक्त करने और उनके लिए स्थायी नीति बनाने की मांग करता है, ताकि कंपनियों को जाने वाली कमीशन भी बच जाए और कुशल भारत निर्माण में अपना योगदान दे रहे वोकेशनल शिक्षकों का भी भला हो। संघ के जिला प्रधान चंद्र शमशेर, विजय सेन, सोना शर्मा, प्रियंका, दिव्य सोनी और मुनीष आदि मौजूद रहे।
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