किशाऊ का बड़ा आकार नामंजूर

By: Mar 15th, 2017 12:01 am

संघर्ष समिति बोली, बड़े डैम के बजाय छोटी यूनिट बनाए सरकार

शिलाई  – भले ही केसीएल (किशाऊ कारपोरेशन लिमिटेड) बांध की आधारशिला रखने की तैयारी कर रहा है, लेकिन बांध से विस्थापित होने वाले ग्रामीण अभी भी बांध स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश दोनों राज्य के किसान इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहले वह उत्तराखंड व हिमाचल के मुख्यमंत्रियों व देश के प्रधानमंत्री से बड़ा बांध रद्द करने की मांग करेंगे। यदि फिर भी बात न बनी तो वे संघर्ष करने में भी गुरेज नहीं करेंगे। किशाऊ बांध संघर्ष समिति के अध्यक्ष मातवर सिंह तोमर व जौनसार बावर सभा के अध्यक्ष मुन्ना सिंह राणा का कहना है कि वह बांध का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन बांध छोटा बनना चाहिए भले ही तीन इकाई बनाई जाए वे छोटे बांध को जमीन देने को तैयार हैं। उत्तराखंड के नौ और हिमाचल के आठ राजस्व गांव के अतिरिक्त 30 उपगांव के ग्रामीणों का कहना है कि प्रस्तावित बांध स्थल के दोनों और कच्चे पहाड़ हैं। विस्थापितों के साथ-साथ ऊपरी क्षेत्र भी दरक सकता है। ग्रामीण इस बात को लेकर भी विरोध कर रहे हैं कि विस्थापित होने के बाद न जाने उन्हें कहां-कहां भटकना पड़ेगा।  मुन्ना सिंह राणा का कहना है कि दशकों पूर्व भाखड़ा बांध व टिहरी बांध के विस्थापित आज तक स्थिर नहीं हो पाए हैं। जल्द ही दोनों राज्यों के बांध की जद में आने वाले किसान एक (खुमली) बैठक का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें आगे की रणनीति तय होगी। श्री राणा ने कहा कि यदि कुवानू-मोहराड़ डूबेगा तो दिल्ली भी डूबेगी। कच्चे पहाड़ जब दरकने आरंभ होंगे तो दिल्ली को भी खतरा पैदा होगा। यहा बड़ा बांध किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा इसके लिए वे संघर्ष करने से भी गुरेज नहीं करेंगे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App